लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट को भेजी गयी शिकायतों पर कार्रवाई न होने पर शासन नाराज है। कुलपति पर भ्रष्ट्राचार का आरोप के अलावा प्रशासन स्तर पर कई गड़बड़िया करने का आरोप लगा है। इस शिकायत पर शासन उप सचिव कुलदीप कुमार की ओर से चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि केजीएमयू कुलपति कार्यकाल में की शिकायतों के अभिलेख का परीक्षण करते हुए अपनी आख्या 15 दिन में प्रस्तुत करें।
बताते चले कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाते हुए शासन से शिकायत की गयी थी। एक मार्च को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल आदि को शिकायती पत्र भेजा गया। फिर आनलाइन पूर्व में भेजे गए शिकायती पत्रों का हवाला देकर शिकायत की। इस पर शासन ने शिकायतकर्ता से शिकायतों के संबंध में साक्ष्य एवं हलफनामा मांगा था। साक्ष्य मिलने के बाद शासन ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए 29 अप्रैल महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को शिकायतों के जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। मोहनलालगंज निवासी सचिव कुमार द्विवेदी के शिकायत को मुख्यमंत्री कार्यालय ने गंभीरता को लेते हुए सोमवार को डीजीएमई को पत्र जारी किया।
शिकायत में अपने करीबी को उप चिकित्सा अधीक्षक पद पर नियुक्त करने के लिए विज्ञापन में संशोधन करने, समूह ग के तहत 2005 में हुई भर्ती मामले में जिम्मेदार लोगों को नियम विरुद्ध जिम्मेदारी देने, अवैध रूप से नियुक्त कर्मचारी को डीजीएमई द्वारा यूजी व पीजी अनुभाग से ह टाने का आदेश देने के बाद भी दोबारा उसी अनुभाग की जिम्मेदारी देने। कभी लोहिया संस्थान में साथ के निवासी सेवानिवृत्त अधिकारी को केजीएमयू का कुलपति बनने के बाद अवैध तरीक ेसे ओएसडी बनाने, लीगल सेल में सेवानिवृत्त कर्मचारी को तैनात करने, आरोग्य भारती से जुड़े व्यक्ति की परिजन को क्लर्क के रूप में नियुक्ति देने और बिना कार्यालय में काम किए उन्हें वेतन भुगतान करने, जूनियर रेजीडेंट व सीनियर रेजीडेंटो की नियुक्ति में योग्यता को दरनिकार कर चहेते को नियुक्त कराने, अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कंवेशन सेंटर में हुए लाखों के घोटाले के दोषी को दोबारा अधीक्षक कार्यालय में महत्वपूर्ण पद देने, प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपी को आईटी सेल की जिम्मेदारी देने, विभिन्न संकायों एवं हास्टल में छेड़खानी के आरोपियों केखिलाफ कार्रवाई नहीं करने,ं कमीशनखोरी का आरोप लगने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने, दवाओं के इंडेंट में खेल, बिना टेंडर के दवाओं की खरीद करने के भी आरोप भी लगाए गए हैं।
केजीएमयू के मीडिया प्रवक्ता डा. सुधीर कुमार सिंह का तर्क है कि भ्रष्ट्राचार के आरोप किसी पर भी लगाये जा सकते है। शासन की ओर से भेजा गये पत्र में शिकायतों पर आख्या मांगी गई है। केजीएमयू प्रशासन की कोशिश है कि सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएंगे।
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