लखनऊ। उम्र बढ़ने के साथ ही घुटने में दर्द में होने पर ज्यादातर लोग दूर तक टहलना बंद कर देते है या आवश्यक काम के लिए ही पैदल चलते है। यह गलत है, टहलना बंद नहीं करना चाहिए। यह जोड़ों को दुरस्त रखने की टहलना सबसे बेहतर प्रक्रिया होती है। यह बात मुम्बई से आये आर्थोप्लास्टी विशेषज्ञ डा. हरीश भिंडे ने गोमती नगर स्थित एक होटल में अार्थोप्लास्टी कोर्स प्रशिक्षण कार्यशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी द्वारा आयोजित कार्यशाला में जाने वाले विशेषज्ञों ने भाग लिया।
डा. भिंडे ने बताया कि चालीस की उम्र होने के बाद विटामिन डी व बी 12 की जांच कराते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि चलते रहने से घुटने की घिसाई ज्यादा नही होती है। यह लोगों का भ्रम है। घुटने के जोड़ को दुरुस्त रखने के लिए पैदल चलना चाहिए। अगर दर्द होता है तो उसे अलग- अलग चरणों में विभाजित होना चाहिए। उन्होंने बताया कि गठिया के लक्षण मिलने के बाद भी पैदल चलने के साथ ही विशेषज्ञ के निर्देश पर एक्ससाइज भी करते रहना चाहिए। कार्यशाला में डा. भिंडे ने गठिया रोग में अत्यधिक घिसी हुई हड्डियों के कारण जोड़ों में उत्पन्न विकृतियों में जोड़ प्रत्यारोपण की जानकारी दी। यूपी आर्थोप्लास्टी के संस्थापक डा. एएस प्रसाद ने बताया कि शरीर के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है। अगर दर्द हो तो व्यायाम कम कर दें। पालथी मार कर बैठने में दिक्कत हो रही हो तो ज्यादा देर पालथी मारकर न बैठें।
डा. प्रसाद ने बताया कि कानपुर आर्थोप्लास्टी कोर्स की सफलता के बाद ही यूपी स्तर पर सोसायटी का गठन किया गया। इसमें विशेषज्ञों से नयी तकनीक की जानकारी व सीखने के लिए डाक्टर शामिल होते है। आर्थोप्लास्टी में आये विशेषज्ञों ने प्रत्यारोपण व इलाज में मिले अनुभवों को साझा किया आैर नयी तकनीक पर चर्चा की। कोयम्बटूर से आये डा. पी. धनशेखर ने बताया कि 60 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों में 25 प्रतिशत लोगों को जोड़ों की समस्या से परेशान होते है। इसमें दस प्रतिशत लोगों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि अगर विशेषज्ञता की बात करें तो कुल आर्थोपैडिक सर्जन्स में अभी अनुभव की कमी है। कार्यशाला में डा. अनिल टी अोमान, डा. सौरभ शुक्ला, डा, हरीश मक्कड़, डा. आंनद अग्रवाल, डा. अनिल अरोड़ा आदि शामिल थे।
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