लखनऊ। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में तीन चार दिन भर्ती रहने के बाद जब इलाज नहीं मिला, तो बलरामपुर अस्पताल इलाज कराने के लिए ले आये। यहां जख्मी हालत में आए स्वास्थ्यकर्मी की छह पसलियां टूटी थी। कोहनी के हड्डी चूर- चूर हो चुकी थी। सिर में चोट लगने के कारण बेहोशी में मरीज था। इसके बाद भी बलरामपुर अस्पताल के डाक्टरों ने टीम वर्क करते हुए मरीज की सर्जरी करनी शुरू कर दी। चार घंटे की जटिल सर्जरी बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
बताते चले कि जनपद स्थित सचिवालय में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर विमल सिंह (30) बीती एक जून को रोड एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हो गए थे।
एक्सीडेंट में छह पसलियां टूटने संग कोहनी के कई टुकड़े हो चुके थे। आनन-फानन में परिजनों ने केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया, जहां पर चार- पांच दिन भर्ती रहने के बाद भी सर्जरी करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया। इससे परेशान तीमारदार मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे। निदेशक डॉ. राजीव लोचन के निर्देश पर डॉक्टरों की टीम ने गंभीर मरीज की सर्जरी करने का फैसला लिया। डॉक्टरों ने छह दिन तक इंतजार करने बाद मरीज का ऑपरेशन किया, जिसमें टूटी पसलियों संग कोहनी को भी ठीक कर दिया। करीब 25 दिन अस्पताल में भर्ती रहने बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। निदेशक का कहना है कि मरीज पहले की तरह अपने सभी काम कर रहा है।
निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने बताया कि मरीज के बुखार आने के कारण सर्जरी को रोका गया। इसके साथ लिवर के आस-पास जमें ब्लड को भी हटाया गया। करीब चार घंटे की जटिल सर्जरी में टूटी पसलियां संग कोहनी की हड्डïी को जोड़ा गया था। उन्होंने बताया कि उनके साथ न्यूरो सर्जन के डॉ. आईशरण, डॉ. स्वाती पाठक व आर्थोपैडिक डॉक्टरों की टीम ने जटिल सर्जरी करके मरीज को नया जीवन दे दिया।
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