यह तकनीक कारगर है स्पाइन इंजरी में

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लखनऊ। स्पाइनल कार्ड इंजरी में इलाज तो तकनीक काफी है, परन्तु स्पाइनल कार्ड इंजरी में स्टेम सेल के प्रत्यारोपण से ही बेहतर परिणाम देखने को मिला है। यही एक तकनीक है, जिसके सही तरीके से प्रयोग होने पर मरीज अपने हाथ-पांव पर खड़ा हो सकता है। यह जानकारी केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के प्रो.आर.एन.श्रीवास्तव ने शनिवार को आयोजित स्पाइन कनक्लेव दी। होटल क्लार्कस अवध में आयोजित कार्यशाला में अन्य विशेषज्ञों ने भी स्पाइन सर्जरी व नयी अपडेट की जानकारी दी।

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प्रो. श्रीवास्तव ने बताया कि स्पाइन में चोट लगने के बाद कई बार मरीज के हाथ-पाव बेकार हो जाते हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या होती है। इस प्रकार की बीमारी होने पर बोनमेरो से स्टेम सेल लेकर इलाज किया जाता है। जिससे मरीज में बेहतर परिणाम देखने को मिला है। परन्तु यह तभी हो सकता है जब मरीज समय रहते उनके पास आ जाता है। उसमें ही बेहतर परिणाम देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि अभी तक स्पाइनल कार्ड इंजरी के मरीजों में जो छह महीने तक हमारे पास इलाज के लिए आ जाते थे। उनमें बेहतर परिणाम आये हैं। मौजूदा समय में एक साल की चोट लगे मरीजों के इलाज में स्टेम सेल से आये अन्य परिणाम पर शोध चल रहा है।

मुम्बई सेठ जेड मेडिकल कालेज के डा.एस.के.श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी का बचपन में इलाज न हो तो पूरी कमर टेढ़ी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि टीबी का समय रहते पहचान हो जाये, जिससे उसका इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि कमर की हड्डी टेढ़ी होने पर हाथ-पैर में ताकत कम होने लगती है। इतना ही नहीं चलने के तरीके मे भी बदलाव हो जाता है। इस बात का पता न्यूरोलॉजिकल परीक्षण के बाद ही संभव है। वहीं पैरों में ताकत कम होने के पीछे का मुख्य कारण स्पाइनल कार्ड पर लगातार पड?े वाला दाबाव होता है। इन समस्याओं का एक कारण बचपन की टीबी होती है, जिसका इलाज शुरूआती दौर में ही संभव है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चे का वजन कम हो रहा हो,शाम को बुखार आता हो तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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