लखनऊ। अखंड सौभाग्य की कामना के लिए वट का पूजन वट सावित्री (बरगदाई) का व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या 6 जून को महिलाएं रखेंगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखेंगी और कथा का श्रवण करेंगी। इसी के साथ इस दिन शनि जयंती भी मनाई जायेगी।
्
ज्योतिषाचार्य समीर के अनुसार जिन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया का बुरा प्रभाव है और जिनका राहु व केतू खराब है, कालसर्प योग व पितृदोष हैं। ऐसे जातक इस दिन शनिदेव को प्रसन्न कर शनि से जनित सभी दोषों से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। सर्वार्थ सिद्धि व धृति योग में भगवान शनि की पूजा अधिक फलदायक रहेगी। शनि एक ऐसे देवता हैं जो धीमी गति से चलते हैं।
धीमी गति से चलने के कारण इनका नाम शनैश्चर पड़ा। शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं, 30 वर्ष बाद शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति पर प्रारंभ होती है। अधिक से अधिक किसी व्यक्ति के जीवन में दो बार शनि की साढ़ेसाती आ सकती है। जब शनि गोचर से राशि में होते हैं तब शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होती है। यह कुल साढ़े सात वर्ष तक रहती है और जब शनि चतुर्थ और अष्टम स्थान गोचर करते हैं तब शनि की ढैया रहती है, जो ढाई वर्ष तक रहती है और बहुत ही कष्टकारी भी होती हैं।
भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि अमावस्या के दिन अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों को अन्न और धन का दान करें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।