लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग एवं राज्य हेल्थ मिशन के संयुक्त तत्वावधान में हेपिटाइटिस के सही इलाज एवं निदान के लिए एक पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुरू हो गयी। केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित कार्यशाला में प्रदेश के तेरह जिलों के डाक्टर शामिल है।
कार्यशाला में जिलों से आए टेक्नीशियन ने भी भाग लिया है।
बताते चले प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपिटाइटिस दिवस मनाया जाता है। पिछले वर्ष इसी दिन राष्ट्रीय वायरल हेपिटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। कार्यक्रम में हर प्रकार की जांच व उपचार को शामिल किया गया है। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् ने बताया कि केजीएमयू का माइक्रोबायोलॉजी विभाग का लैब एक सर्वोच्च स्तर का लैब है। उन्होंने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत ऐसे केवल 10 केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से केजीएमयू एक है तथा प्रदेश के 13 जिलों के प्रतिभागी यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने जिलों में मरीजों को इलाज प्रदान कर सकेंगे और इन जिलों में जांच का कार्य शीघ्र शुरू किया जा सकेगा।
कार्यक्रम में एनएचएम की एडिशनल डायरेक्टर श्रीमती श्रुति ने कार्यक्रम के बारे में विस्तृत से जानकारी दी।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अमिता जैन ने बताया कि यहां का माइक्रोबायोलॉजी विभाग हेपिटाइटिस की जांच का प्रदेश में सर्वोच्च स्तर का केंद्र निर्धारित किया गया है तथा इसी क्रम में वह और उनकी टीम 13 जिलों के टेक्नीशियन एवं चिकित्सकों को पांच दिन का प्रशिक्षण दे रही हैं। कार्यक्रम में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा ने कहा कि हर साल 34 मिलियन लोग हेपिटाइटिस का शिकार होकर मौत के मुंह में समा जाते हैं। कार्यक्रम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. सूरूचि शुक्ला, डॉ. पारूल जैन, डॉ. आरके कल्याण, डॉ. शीतल वर्मा, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के चिकित्सक एवं वाइरोलॉजी लैब के कर्मचारी उपस्थित रहे।
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