लखनऊ। कोरोना मरीज की मौत के बाद शव बदलने का मामला एक बार फिर सामने आया है। अंतिम संस्कार से ठीक पहले बेटे ने शव का चेहरा देखा तो वह किसी और का निकला। तत्काल शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी घटना से अनजान बनते रहे। परिजनों ने जब बैकुंठ धाम पर ही हंगामा शुरू किया तब करीब तीन घंटे बाद संबंधित अस्पताल के सीएमएस ने स्वीकार किया कि उनके यहां शव की पैकिंग के दौरान लापरवाही हुई है। मामला सरोजनी नगर के टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल का है।
यहां पर राजधानी के गढ़ी कनौरा स्थित प्रेमवती नगर निवासी यतींद्र कुमार तिवारी (65) रेलवे से सेवानिवृत्त हैं। भर्ती चल रहे थे। उनके बेटे महेंद्र तिवारी ने बताया कि एक अगस्त से उन्हें बुखार आ रहा था। सात अगस्त को निजी पैथोलॉजी से जांच कराई, लेकिन सैंपल खराब हो गया। इस पर नौ अगस्त को दोबारा जांच हुई और 10 को कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई। 11 अगस्त को कंट्रोल रूम से फोन करके टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज एवं हास्पिटल दोपहर में एंबुलेंस से मरीज को अस्तताल में भर्ती कर लिया गया। यहां से 14 अगस्त को हालत गंभीर होने की जानकारी दी गई। आरोप है कि मरीज को वेंटिलेटर पर छह इंजेक्शन करीब 24 हजार के इंजेक्शन मंगाकर अस्पताल कर्मियों को दिया गया। 15 अगस्त को हालत गंभीर बताया गया और फिर 5.30 बजे मृत घोषित कर दिया गया। शव के लिए 16 अगस्त सुबह नौ बजे बुलाया गया। इस दौरान उन्हें एक पीपीई किट देते हुए दोपहर में शव सौंपा गया, लेकिन चेहरा नहीं देखने दिया गया। बेटे महेंद्र तिवारी का आरोप है कि भैसाकुंड घाट पर काफी मिन्नते करने के बाद कर्मचारी शव दिखाने के लिए राजी हुए। शव देखने के बाद पता चला कि वह उसके पिता का नहीं है। इस पर तत्काल अस्पताल और जिला प्रशासन को सूचना दी गई। इस दौरान पहले से मिले शव और वाहन को रोके रखा गया। रात करीब 10 बजे टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल के सीएमएस डा. एसपी राय ने बताया कि शव मिल गया है। परिजनों को सौंपा जा रहा है। पहले दिया गया शव गोडा निवासी का है। वह भी वेंटिलेटर पर था।