दवा रिएक्शन देती है…. आपकी सुरक्षा बस एक क्लिक ….

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*पांचवां राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह शुरू

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लखनऊ। यदि कोई भी दवा गलत प्रतिक्रिया देती है तो टोल फ्री नंबर 1800-180-3024 या पीवीपीआई ऐप पर रिपोर्ट करिए । कोई भी स्वास्थ्य प्रदाता या मरीज स्वयं यह रिपोर्ट कर सकता है । इसमें मरीज की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है ।

स्टेट फार्मेसी काउंसिल उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन एवं फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि रोगी सुरक्षा के लिए एडीआर रिपोर्टिंग संस्कृति का निर्माण करने हेतु “आपकी सुरक्षा बस एक क्लिक दूर – रिपोर्ट टू PvPI” विषय के साथ भारत में एक सप्ताह तक औषधि और औषधीय सामग्री द्वारा उत्पन्न प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया (एडवर्स ड्रग रिएक्शन) को रिपोर्ट करने के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से फार्माकोविजिलेंस सप्ताह का आयोजन होगा ।

राष्ट्रीय समन्वय केंद्र- फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इण्डिया (PvPI), भारतीय फार्माकोपिया आयोग द्वारा राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह (17 से 23 सितंबर,)की घोषणा की गई है।

उन्होंने कहा कि थैलिडोमाइड ट्रेजेडी को 20वें शताब्दी के वर्ष 1950 से 1960 दशक की सबसे बड़ी चिकित्सा त्रासदी माना जाता है, गर्भवती महिलाओं में थैलिडोमाइड को जर्मनी की दवा कंपनी ने मॉर्निग सिकनेस और उल्टी रोकने के लिए प्रस्तुत किया था, दवा कंपनी, *Chemie Grünenthal*, द्वारा इसे गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित और गैर-नशे की दवा के रूप में प्रचारित किया गया था। थैलिडोमाइड जल्दी ही यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, और अन्य देशों में लोकप्रिय हो गई और लगभग 46 देशों में बेची जाने लगी। लेकिन बाद में पाया गया कि लगभग 10000 से अधिक ऐसे शिशु पैदा हुए, जिनमे फोकोमेलिया (Phocomelia) पाया गया, नवजात शिशुओं के अंग या तो पूरी तरह से विकसित नहीं होते थे या बहुत छोटे होते थे। कई बच्चों के हाथ और पैर विकृत हो जाते थे। इसके बाद ज्यादातर देशों ने इस दवा पर रोक लगाई । इस घटना के कारण, दुनिया भर में Pharmacovigilance(दवाओं की निगरानी और सुरक्षा) की आवश्यकता को मान्यता दी गई जो आज और प्रासंगिक हो गई है । अब आयूष विभाग ने आयुर्वेदिक औषधियों का भी ADR रिपोर्टशुरू कर दिया है ।

क्या है फार्माकोविजिलेंस ?
* *फार्माकोविजिलेंस* दवाओं के उपयोग से जुड़े प्रतिकूल प्रभावों और जोखिमों की निगरानी, मूल्यांकन, पहचान, और रोकथाम की प्रक्रिया है। कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य एजेंसियां और दवा निर्माता, फार्मेसिस्ट, स्वास्थ्य प्रदाता आदि दवाओं पर निगरानी रखते हैं ।
प्रत्येक औषधि का साइड इफेक्ट होता है, परंतु कभी-कभी साइड इफेक्ट के अलावा भी अनेक अन्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं एडवर्स ड्रग रिएक्शन (ए डी आर) के रूप में आती है या देखी जाती है, जिस पर नियमित रूप से नजर रखनी आवश्यक है । इंडियन फार्माकोपोयिया कमीशन द्वारा फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया संचालित किया जा रहा है कि कई बार उस ड्रग की बिक्री और निर्माण पर प्रतिबंध भी लगाया जाताहै ।

क्या है पीवीपीआई…

इसे भारत में दवा सुरक्षा निगरानी कार्यक्रम कहा जाता है, जिसे 2010 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य देश में दवाओं से संबंधित प्रतिकूल प्रभावों (ADRs) की निगरानी करना और दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
पीवीपीआई की कार्यविधि –

1. *ADR रिपोर्टिंग केंद्रों की स्थापना
– पीवीपीआई के तहत देशभर में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और संस्थानों में *एडवर्स ड्रग रिएक्शन मॉनिटरिंग सेंटर्स* (AMCs) स्थापित किए गए हैं।
– ये केंद्र स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, फार्मासिस्टों और आम जनता से प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं (ADRs) की रिपोर्ट प्राप्त करते हैं।
2. *ADR रिपोर्टिंग और डेटा संग्रह:*
– *स्वास्थ्य पेशेवर या सेवा प्रदाता* , जैसे डॉक्टर, नर्स और फार्मासिस्ट, ADRs की रिपोर्ट करते हैं।
– **मरीज और आम जनता** भी ADR रिपोर्ट कर सकते हैं।
– रिपोर्ट की गई जानकारी को केंद्रीय रूप से एकत्र किया जाता है और विश्लेषण के लिए *Indian Pharmacopoeia Commission (IPC)* में भेजा जाता है, जो पीवीपीआई का राष्ट्रीय समन्वय केंद्र (NCC) है।

3. *डेटा का विश्लेषण और मूल्यांकन
– प्राप्त की गई ADR रिपोर्ट्स को IPC द्वारा विश्लेषित किया जाता है। यह देखा जाता है कि कोई दवा किस प्रकार से प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर रही है.
– यदि कोई गंभीर समस्या पाई जाती है, तो IPC उस पर आगे की कार्रवाई के लिए इस रिपोर्ट को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) को भेजता है।
4. *रिपोर्टिंग और जोखिम प्रबंधन : – IPC रिपोर्ट की गई ADRs को *VigiBase*, जो कि WHO का इंटरनेशनल ADR डेटाबेस है।
– यदि किसी दवा में गंभीर जोखिम पाया जाता है, तो CDSCO द्वारा दवा पर प्रतिबंध लगाना, उपयोग में बदलाव करना, या चेतावनी जारी करना जैसे उपाय किए जाते हैं

फेडरेशन ने अपील की है कि अपने मोबाइल में पीवीपीआई ऐप जरूर इंस्टॉल कर लें, और इसका प्रयोग करें ।

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