लखनऊ। प्रदेश के बलरामपुर में दरिंदों ने मासूम सात वर्षीय बच्ची के संवेदहीनता की हद को पार करते हुए गले में आठ इंच की कील ठोंक दी। स्थानीय स्तर पर डाक्टरों के बिगड़ती हालत को देखते हुए रेफर कर दिया। गंभीर हालत में पुलिस व तीमारदार बच्ची को लेकर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बच्ची का जटिल सर्जरी करके कील निकालकर नयी जिंदगी दे दी है। डॉक्टरों का दावा है कि बच्ची की हालत खतरे से बाहर है।
बताया जाता है कि जिला बलरामपुर निवासी सात साल की बच्ची के साथ 15 मई को रेप की घटना हुई थी। बताते है कि दरिंदों ने रेप के बाद बच्ची के गले में ढोड़ी के निचले भाग में कील ठोंक दी थी। जानकारी मिलने पर खून से लथपथ हालत में तीमारदार बच्ची को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद बच्ची को जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। सर्जरी के बाद करीब 13 दिन तक गहन निगरानी में रखने के बाद आज 29 मई को बच्ची को जर्नल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची की हालत की गंभीरता को देखते हुए केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। आनन-फानन तीमारदार बच्ची को लेकर 16 मई की रात में केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे। ट्रॉमा सेंटर में रेजिडेंट डॉ. समय, डॉ. आशुतोष और डॉ. प्रज्जवल ने बच्ची की प्राथमिक जांच की। ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. वैभव जायवाल की टीम ने मरीज की भर्ती करके जांच करायी। जांच में देखा गया कि आठ सेंटीमीटर की निकुली कील गले के रास्ते से दिमाग में धंस चुकी थी। डॉक्टरों ने सर्जरी करने का निर्णय लिया। इसके लिए ईएनटी व न्यूरो सर्जरी विभाग डॉक्टरों को भी बुलाया गया।
डॉक्टरों ने सर्जरी करने से पहले मरीज की तबीयत को स्टेबल करने के लिए बच्ची को ब्लड चढ़ाया गया आैर आवश्यक दवाएं दी गयी। इसके बाद ट्रॉमा सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. संदीप तिवारी व डॉ. समीर ने सर्जरी की रूपरेखा तैयार की। उसके बाद डॉ. समीर मिश्र के साथ डॉ वैभव जायसवाल, डॉक्टर यदुवेन्द्र, डॉ लोकेश, डॉ एकता, डॉ अर्पिता शुक्ला, डॉ अर्चना, सीनियर रेजिडेंट डॉ आकांक्षा, सीनियर रेजिडेंट डॉ विशाल टीम ने सर्जरी की। कील निकालकर ऑपरेशन के बाद मरीज को पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में डॉ निशांत की देखरेख में भर्ती किया गया।