लखनऊ। प्रदेश सरकार ने बजट में न्यूनतम वेतन बढ़ाने की घोषणा की, यह आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के लिए सराहनीय कदम है, लेकिन पहले भी घोषणा की गयी, फिर भी दो वर्षो से वेतन बढ़ोत्तरी के नही हो सकी है।
प्रदेश महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा का कहना है कि चिकित्सा संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन बढ़ोत्तरी हेतु पहले 17 अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री द्वारा विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा जयंत नर्लीकर की अध्यक्षता में वेतन समिति बनी , रिपोर्ट शासन गई मगर रिपोर्ट लागू नहीं हुआ। एक बार फिर मुख्यमंत्री द्वारा 20 अप्रैल 2023 को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में कमेटी बनी नौ जून 2023 को रिपोर्ट शासन को भेजा गया।
मगर दो साल के बाद भी वेतन बढ़ोत्तरी का शासनादेश जारी नहीं हुआ। मुख्यमंत्री द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट लागू न होने से पिछले कई वर्ष से वेतन बढ़ोत्तरी नहीं हुई। कमेटी की रिपोर्ट लागू होने से 80 मेडिकल कॉलेज , तथा केजीएमयू , लोहिया , एसजीपीजीआई कैंसर संस्थान के लगभग एक लाख से अधिक कर्मचारियों को फायदा होगा। लगभग 5000 रु तक वेतन बढ़ सकता है।
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ लगातार मांग कर रहा है। संघ ने कई बार उपमुख्यमंत्री ब्राजेश पाठक को बताया गया, फिर भी नहीं शासनादेश जारी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अगर न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी करना है तो तत्काल बजट सत्र में ही शासनादेश जारी होना चाहिए ।