लखनऊ। बदलते परिवेश में आगे निकलने की होड़ में डिप्रेशन, मोटापा तथा शादियां देर हो रही है, जिसके कारण बांझपन प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है, हालांकि प्रदेश में यह प्रतिशत कम है, लेकिन अन्य राज्यों में यह प्रतिशत बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण मुख्य रूप से महिलाओं में गर्भधारण करने में दिक्कत हो रही है। यह जानकारी 63वीं ऑल इण्डिया कांग्रेस ऑफ आब्स्ट्रेटिक्स एण्ड गायनोकोलॉजी कॉफ्रेन्स में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. रमा श्रीवास्तव ने दी।
उन्होंने बताया कि स्त्री हो या पुरुष दोनों एक ऊंचा मुकाम पाकर परिवार बसाना चाहता है। ऐसे में शादियां तीस से बढ़कर पैंतीस वर्ष पार करने के बाद होने लगी है। जिसका खामियाजा गर्भधारण करने के दौरान ज्यादा हो रहा है। उन्होंने बताया कि बाझपन में मोटापा, डिप्रेशन व अन्य बीमारियों भी शामिल हो रही है।
डा. श्रीवास्तव ने बताया कि आंकड़ों में प्रदेश में 3.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र पांच प्रतिशत, जम्मू में 15 प्रतिशत बाझपन पाया गया है। शादियां देर होने के बाद गर्भधारण न कर पाने पर महिला आैर पुरुष दोनों की जांच में अक्सर कुछ न कुछ खामियां मिल जाती है। पुरूषों में स्पर्म, जनंनागों की बीमारियां हो सकती है। महिलाओं में मोटापा, अंडाणु व अन्य कारण होते है, जिसके कारण गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि तीस से पहले ही विवाह संस्कार बेहतर रहता है आैर देर से होने पर आईवीएफ तकनीक से इलाज महंगा हो जाता है, जो कि सभी लोग वहन नहीं पाते है।
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