लखनऊ। मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट अस्पतालों की मदद भी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि मान्यता पैनल से प्राइवेट अस्पतालों को जोड़कर काम कर रहे हैं। फॉग्सी द्वारा संचालित मान्यता पैनल के मदद से डाक्टरों व स्टाफ के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह जानकारी डा. प्रीती कुमार ने शनिवार को आशियाना स्थित मान्यवर कांशीराम स्मृति उपवन में चल रहे 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के चौथे दिन फॉग्सी द्वारा संचालित मान्यता पैनल पर विस्तार से चर्चा में दी।
द फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया (फॉग्सी) के तत्वाधान में एआईसीओजी 2020 का आयोजन लखनऊ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी सोसायटी करा रहा है। यहां पर डॉ. प्रीती कुमार ने बताया कि मान्यता पैनल का मकसद मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाना है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट अस्पतालों की मदद भी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि मान्यता पैनल से प्राइवेट अस्पतालों को जोड़कर काम कर रहे हैं। वहां पर हम डॉक्टरों और स्टाफ को प्रशिक्षित करते हैं, जिससे कि सुरक्षित प्रसव कराया जा सके। डॉ. कुमार ने कहा कि हम डॉक्टरों व स्टाफ को डिलीवरी के समय होने वाली कठिनाइयों से निपटने के उपायों का प्रशिक्षण देते हैं।
अक्सर डिलीवरी के समय झटके, ब्लीडिंग आदि की समस्या आती है। यही मातृ-शिशुदर का बड़ा कारण है। अस्पताल में आने वाली हर गर्भवती को लेकर हम पहले से तैयारियां कर लेते हैं, जिससे कि उसकी डिलीवरी के समय आने वाली कठिनाइयों का पहले ही उपाय कर लिया जाता है। डॉ. प्रीती कुमार ने कहा कि इस पैनल के जरिये हम बेहतर काम कर रहे हैं और मातृ-शिशुदर में कमी लाने में कामयाब भी हो रहे हैं। पैनल में चर्चा में डॉ. ऋ िषकेश, डॉ. रिश्मा पाई, डॉ. अल्पेश गांधी, डॉ. हेमा दिवाकर, डॉ. विनीता अवस्थी मौजूद रहीं। कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. संगीता आर्या, डॉ. अंजना, डॉ. अपेक्षा और डॉ. अमृता आदि विशेषज्ञ शामिल थे।
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