सांस लेने में दिक्कत हो तो जांच जरुर कराये

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लखनऊ। लंग कैंसर ज्यादातर धूम्रपान से ही होता है। रोग की पहचान जल्द न होने के कारण यह जानलेवा हो जाता है। शुरुआती लक्षणों में ब्राांन्कोस्कोपी से इस रोग का पता लगाया जा सकता है। यदि सांस लेने में किसी प्रकार की दिक्कत हो रही हो ब्राांन्कोस्कोपी अवश्य करानी चाहिए। शुरुआती दौर में सर्जरी से ही रोग ठीक हो जाता है। यह जानकारी डॉ. मुंबई के कोकीला बेन अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. राजेश मिस्त्री ने दी। केजीएमयू सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर कार्यशाला में सम्बोधित कर रहे थे।

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कलाम सेंटर में आयोजित कार्यशाला में डॉ. मिस्त्री ने फेफड़े के कैंसर में रोबोटिक सर्जरी के बारे में बताते हुए कहा कि इस तकनीक से सर्जरी बिल्कुल सटीक होती है। उन्होंने बताया कि है यदि रोग का पता जल्द लगा लिया जाए तो सिर्फ ऑपरेशन से ही इलाज संभव है। ऑपरेशन के बाद कीमोथेरेपी की भी संभावना न या फिर बहुत कम होती है। ऑपरेशन से ही उन पैचेस को ठीक कर दिया जाता है जो कैंसर के होते हैं। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में मरीज पूर्व की अपेक्षा जल्द स्वस्थ हो जाता है। उन्होंने अपील की कि लोग रोग के प्रति सतर्क रहें और अपने फेफड़ों की जांच समय-समय पर कराते रहें।

कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने उद्घाटन करते हुए कहा कि धूम्रपान से बचना चाहिए। सिर्फ सिगरेट पीने वाला व्यक्ति हीं नहीं उसके आस-पास के लोग भी प्रभावित होते हैं और उन्हें भी फेफड़ेे के कैंसर होने की संभावना हो जाती है। मौजूदा समय में फेफड़ेे के कैंसर के उपचार के लिए कई उन्नत तकनीक उपलब्ध हैं, लेकिन यह तकनीक तभी कारगर होती हैं जब रोग बीमारी के बारे में सही समय पर पता चल जाए। कार्यक्रम में केजीएमयू सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने फेफड़े के कैंसर के कारणों तथा उसके निदान व उपचार के बारे में बताया।

आयोजन सचिव डॉ. शिवराजन ने बताया कि फेफड़े के कैंसर का शुरुआती चरण में ऑपरेशन करके मरीज को कैंसर मुक्त किया जा सकता है और यह ऑपरेशन अब केजीएमयू में दूरबीन विधि से बिना के दर्द के संभव है। पल्मोनरी विभाग के डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि विभाग में यह जांच उपलब्ध है और फेफड़े की जांच कर कैंसर की संभावना का पता लगाया जा सकता है। इस अवसर पर एसजीपीजीआई के डॉ. नीरज रस्तोगी, राम मनोहर लोहिया संस्थान के डॉ. गौरव गुप्ता, डॉ. नुजहत हुसैन ने फेफड़े के कैंसर के बारे में नयी तकनीक की जानकारी दी।

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