लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी अस्पताल में स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। यहां भर्ती गर्भवती व अन्य बीमार मरीजों में जल्द ही पहचान न हो पाने के कारण आइशोलेट नहीं किया जा रहा है। इससे संक्रमण फैल रहा हंै। फिलहाल अस्पताल में लगातार स्वाइन फ्लू मरीज मिलने पर तीमारदारों में हडकम्प मचा है आैर ज्यादातर लोग मास्क लगाना शुरू कर दिये है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलते ही जांच करायी जा रही है।
अस्पताल में चार दिन में पांच महिला मरीज स्वाइन फ्लू के मिलने के बाद मरीजों से लेकर तीमारदारों में हड़कम्प मचा है। तीमारदारों का आरोप है कि अस्पताल के वार्डो में साफ – सफाई व लक्षणों की पहचान देर से होने के कारण संक्रमण बढ़ता जा रहा है।अस्पताल में सबसे बड़ी दिक्कत बिस्तरों की कमी होना है। यहां पर महिला मरीजों की संख्या के कारण एक बिस्तर पर दो मरीज लेटी होती है। ऐसे में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जब तक मरीज में स्वाइन फ्लू की पहचान होती है तब तक वह बिस्तर पर दूसरे मरीज को संक्रमण दे चुका होता है। यहां के डाक्टरों का भी मानना है कि क्वीन मेरी आने वाले ज्यादातर डाक्टर दूसरे जनपदों से गंभीर हालत में आते है। ऐसे में पहले उनका इलाज करना जरूरी हो जाता है। अगर देखा जाए तो क्वीन मेरी अस्पताल में गंभीर मरीजों के लिए आइशोलेशन वार्ड तक नहीं है। यहां पर मरीज को आइशोलेट करने के लिए मेडिसिन विभाग ही भेजा जाता है।
फिलहाल लगातार मिल रहे स्वाइन फ्लू मरीज के कारण रेजीडेंट डाक्टरों, नर्सिंग स्टाफ व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ में भी भय व्याप्त होता जा रहा है। उनका कहना है कि उन्हें अभी स्वाइन फ्लू से बचाव की वैक्सीन भी नहीं लगी है। उधर केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार का कहना है कि मरीजों में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर तत्काल पहले आइसोलेट करने के निर्देश है। वहां से मरीज को मेडिसिन विभाग के आइशोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि क्वीन मेरी अस्पताल में आइशोलेशन वार्ड बनाने के निदेॅश भी दिया जाएंगा। ताकि वही का मरीज वही पर रहे तो दोनों इलाज ठीक से हो सकेंगे।
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