लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक में बजट की कमी से न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (नेट) की जांच पर खतरा मडराने लगा है। ब्लड की जांच के लिए नेट की किट की खरीद भी बड़ी मुश्किल से हो पा रही है। इस समस्या से निजात के लिए ब्लड बैंक ने नेशनल हेल्थ मिशन व शासन से बजट दिये जाने की मांग की है।
केजीएमयू के ब्लड बैंक में सामान्य तौर पर अब नेट तकनीक से ब्लड की जांच की जाती है। इस जांच के बाद ब्लड में सभी प्रकार के संक्रमण समाप्त हो जाते है। ब्लड में हेपेटाइटिस ए या सी का संक्रमण सामान्य ब्लड की स्क्रीनिंग में पकड़ नहीं आती है, इस जांच के बाद सभी पकड़ में आ जाते है। यहां के ब्लड बैंक में केजीएमयू के बीपीएल, असाध्य, थैलेसीमिया, एचआईवी सहित कुछ अन्य मामलों में बिना डोनर के मरीजों को ब्लड डोनेट कर देता है। यह ब्लड भी नेट की स्क्रीनिंग किया हुआ होता है। नेट से जांच करने में प्रति महीने 15 से बीस लाख रुपये का खर्च है आैर यह खर्च सालाना 13.50 करोड़ हो जाता है।
इसके अलावा केजीएमयू में भर्ती मरीजों को नेट से जांच किया हुआ ब्लड प्रति यूनिट भी मात्र 400 रुपये में दिया जाता है। इन सब ब्लड यूनिट दिये जाने के बाद ब्लड बैंक को नेट की किट खरीदे जाने के खर्च नहीं निकल पाता है। केजीएमयू प्रशासन भी बजट की कमी के कारण अतिरिक्त बजट नहीं दे पा रहा है। लगातार नुकसान उठा रहे ब्लड बैंक ने बजट की मांग नेशनल हेल्थ मिशन से की है। नेशनल हेल्थ मिशन ने जल्द ही बजट दिये जाने का आश्वासन दिया जाता है।
ब्लड बैंक प्रभारी डा. तूलिका चंद्रा ने बताया कि शासन को बजट दिये जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो. एमएल बी भट्ट लगातार बजट के लिए प्रयास कर रहे है। जल्द ही कहीं न कहीं से बजट मिल जाएगा आैर समस्या का समाधान निकल आएगा।