प्राथमिक इलाज मिल जाता तो बच सकता था मरीज

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लखनऊ। सुलतानपुर के एक बुजुर्ग मरीज की समय पर इलाज न मिलने पर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ट्रॉमा सेंटर परिसर में बुधवार सुबह मौत हो गई। तीमारदार बेटे का आरोप है कि बलरामपुर से लेकर ट्रॉमा सेंटर तक में 24 घंटे तक बुजुर्ग को भर्ती न करके एक दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए दबाव बनाते रहे। डॉक्टर सिर्फ दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए दबाव बनाते रहे। मरीज की मौत के बाद हंगामा मचाया, तो सुरक्षा गार्डों और अन्य कर्मचारियों ने उन्हें शांत कराया।

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सुलतानपुर के बल्दीराय में बिसावां गांव के रहने वाले अमर बहादुर सिंह (60) को लकवा का अटैक पड़ा था। तीमारदार उन्हें लेकर पहले सुलतानपुर के स्थानीय डाक्टर के पास लेकर गये। उसे केजीएमयू रेफर कर दिया। परिजन मंगलवार को पहंुचे तो यहां डॉक्टरों ने बिस्तर फुल न बताकर बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि बलरामपुर अस्पताल में मरीज को लेकर पहुंचे, तो वहां भी भर्ती नहीं किया गया। फिर उन्हें ट्रॉमा भेज दिया गया। उनका आरोप है कि किसी भी अस्पताल में मरीज को प्राथमिक इलाज तक नहीं दिया गया।

ट्रॉमा सेंटर पहुंचने पर डॉक्टरों से मरीज के इलाज की फरियाद की। स्ट्रेचर पर मरीज 24 घंटे से ज्यादा समय तक सही इलाज नही मिल पा रहा था। मरीज की सांस उखड़ने लगी तो सिर्फ दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कहते रहे। इलाज न मिलने से स्ट्रेचर पर ही बुजुर्ग की बुधवार सुबह मौत हो गई। केजीएमयू प्रवक्ता डा. सुधीर का कहना है कि इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। किसी प्रकार के गंभीर मरीज का प्राथमिकता पर इलाज देने के लिए सभी को निर्देश है। तीमारदारों को न्यूरोलॉजी में मरीज का इलाज कराना चाहिए था।

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