फार्मासिस्टों का कार्य बहिष्कार से 2 घंटे नहीं बटी दवा

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लखनऊ । पुरानी पेंशन बहाली सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश भर सरकारी अस्पतालों में फार्मेसिस्टों ने बृहस्पतिवार को दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया। इस बहिष्कार से मरीज दवा की पर्चा लेकर परेशान रहे, लेकिन फार्मासिस्टों के दो संगठन के मतों में विभेद के कारण आंदोलन की धार कुछ हल्की पड़ी गयी, क्योंकि एक संगठन आंदोलन को बेमतलब साबित करने में जुट गया है।

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सरकारी अस्पतालों में बृहस्पतिवार को फार्मासिस्टों का कार्य बहिष्कार सुबह आठ से 10 बजे तक चला। इस दौरान बलरामपुर, सिविल आैर लोहिया अस्पताल में फार्मासिस्ट दवा काउंटर छोड़ दिया। 8 दिसम्बर को द्वितीय शनिवार का सामूहिक उपभोग और 10 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया गया। प्रदर्शन में डीपीएस के अध्यक्ष सुनील यादव, महामंत्री केके सचान भी शामिल थे। सुनील यादव ने बताया कि अभी तक शासन में किसी भी प्रकार से आंदोलन को संज्ञान में नहीं लिया है।

डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन (डीपीएस) के प्रदेश उपाध्यक्ष एसएम त्रिपाठी ने बताया कि उच्चस्तरीय समझौतों और अनेक वार्ताओं में लिये निर्णयों के बावजूद संघ की किसी भी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। संघ की वेतन विसंगति की रिपोर्ट लगभग डेढ़ वर्ष से शासन में लंबित है। जिसके कारण सम्मानजनक वेतन नही मिल रहा, भत्तो का वर्षो से पुनरीक्षण नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि महानिदेशालय के प्रस्ताव के बाद भी संवर्ग के पदों का पुनर्गठन नहीं हो रहा, कार्य और आवश्यकता के अनुसार मानक नहीं बन रहे, पदों का सृजन लंबित है। ट्रामा सेंटरो में अभी तक फार्मेसिस्ट के एक भी पद सृजित नही हुए, उच्च पदों का सृजन भी नहीं हो रहा है जिससे पदोन्नति नहीं हो पा रही, नियुक्ति प्रक्रिया भी बाधित है।

महानिदेशालय द्वारा फार्मेसिस्ट संवर्ग के कुल सृजित पदों की संख्या हमेशा अलग अलग बताई जाती है, मात्र कुछ जनपदों से प्राप्त जनसूचना, द्रण्ड़, ड़ण्ड़ के मानक को अगर आधार मान ले तो भी अभी फार्मेसिस्ट के 500 से अधिक पद रिक्त हैं, जबकि महानिदेशालय के पास सही सूचना नहीं है, फार्मेसिस्ट रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। शासन स्तर पर निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन जिला फार्मेसी अधिकारी, प्रत्येक महिला चिकित्सालयो में प्रभारी, अपर निदेशक और 500 बेड के चिकित्सालयों में एक विशेष कार्य अधिकारी तथा कुल 4 संयुक्त निदेशक के पदों का सृजन करते हुए विभाग में पदोन्नति के पदों को बढ़ाकर पिरामिड ठीक किया जाएगा लेकिन लगभग 10 साल बीतने के बाद भी इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रदर्शन में बीपी सिंह, सुनीता, मनमोहन मिश्रा सहित कई पदाधिकारी प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में कार्य बहिष्कार की जानकारी लेते रहे।

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