लखनऊ। बुजुर्ग भी एनीमिया की चपेट में आ रहे है। लगभग 24 प्रतिशत बुजुर्ग एनीमिया से पीड़ित हैं। आंकड़ों को देखा जाए तो इनमें 40 प्रतिशत बुजुर्गों की मृत्यु का कारण एनीमिया है। समय पर सही इलाज से बुजुर्गों को एनीमिया से बचाया जा सकता है। यह बात बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के डॉ. विजय तिलक ने बृहस्पतिवार को कानपुर रोड स्थित होटल में इंडियन सोसाइटी ऑफ हीमेटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन (आईएसएचबीटी) के 66वें वार्षिक सम्मेलन में दी।
बीएचयू के डॉ. विजय तिलक ने कहा कि बढ़ती उम्र के कारण लोग एनीमिया पर ध्यान नहीं देते है। परिजन भी इसे अनदेखा करने लगते हैं। बुजुर्गों में एनीमिया के कई कारण हो सकते है। कई बार बुजुर्गों में आयरन की कमी भी एनीमिया का कारण बनता हे। तो कभी विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी से एनीमिया हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सूजन व कैंसर भी एनीमिया की एक कारण सम्भव है। उन्होंने कहा कि विटामिन बी12 की कमी वाले 40 प्रतिशत बुजुर्ग मरीजों में भ्रम की स्थिति बनती हुई देखी गयी है। वह डिप्रेशन और न्यूरोपैथी जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
केजीएमयू हिमैटोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. एसपी वर्मा ने कहा कि बुजुर्गों को एनीमिया की जांच साल में कम से कम एक बार जरूर करानी चाहिए। जांच में यदि सामान्य से कम हीमोग्लोबिन आ रहा है, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। समय पर इलाज कराकर बीमारी को गंभीर होने से बचा सकते हैं।
केजीएमयू की डॉ. रश्मि कुशवाहा ने बताया कि सम्मेलन में नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टाफ और लैब तकनीशियनों के लिए विशेष सेमिनार हुआ। लगभग 600 डॉक्टर, नर्सिंग, लैब तकनीशियन, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ मौजूद रहे। कार्यक्रम में पीडियाट्रिक विभाग के डॉ. निशांत वर्मा, क्वीनमेरी की डॉ. अमिता पांडेय समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहीं।












