पटाखा के धुंए व प्रदूषण से बचे सांस के रोगी

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लखनऊ। पटाखों से निकलने वाली नाइट्रोजन और सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड व मोनो डाईआक्साइड जैसी जहरीली गैस नुकसानदायक होती है। यह जहरीली गैस मनुष्य से लेकर अन्य जानवर तक को बड़ा नुकसान पहुंचाती है। क्योंकि सभी के आंख व मुंह खुले रहते हैं आैर श्वसन प्रक्रिया चलती रहती है। इसी प्रकार बढ़ता प्रदूषण भी श्वसन प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में मास्क का प्रयोग करना चाहिए। इसमें मास्क एन 95 ही प्रयोग बेहतर रहता है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी मेडिसीन विभाग के डा. वेद प्रकाश ने दी। उन्होंने बताया कि इस दौरान जरा सी लापरवाही ऐसे मरीजों के लिए घातक हो सकती है।

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डा. वेद ने बताया कि बदलते मौसम के साथ ही रेस्पटरी के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगती है। ओपीडी में इनकी संख्या बढ़कर 60 से 70 हो जाती है। डा. वेद प्रकाश का कहना है कि सांस की बीमारी से परेशान मरीजों को दीपावली के पटाखों के धुएं से बचने की जरूरत है। पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैस से कई बीमारियों का खतरा हो जाता है। पटाखों से निकलने वाली नाइट्रोजन और सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड व मोनो डाईआक्साइड जैसी जहरीली गैस नुकसानदायक होती है। यह जहरीली गैस मनुष्य ही नहीं जानवरों को भी नुकसान पहुंचाता है। इंसान के अलावा हर जीव की आंख व मुंह खुले रहते हैं और यही कारण की प्रदूषण नुकसान पहुंचाता है। उनका कहना है कि जिस तरह से शहर में वायु प्रदूषण का स्तर है उससे स्वस्थ व्यक्ति भी परेशान हो जाता है।

यह मौसम दमा मरीजों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है और ऐसे में पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैस खतरा और बढ़ा देती है। यह दमा के मरीजों के लिए जहर के बराबर है। ऐसे व्यक्ति के लिए प्रदूषण से बचाव ही एकमात्र इलाज है। दम घुटना, सांस लेते समय आवाज होना, सांस फूलना, छाती में कुछ जमा होना व भरा हुआ महसूस होना, बहुत खांसने पर चिकना कफ आना इसके लक्षण हैं। ऐसा होने पर तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए । मास्क के प्रयोग के अलावा कोई कपड़ा या गीला कपड़ा लगाकर प्रदूषण से बचा जा सकता है। डॉ. वेद ने बताया कि सिर्फ हवा ही नहीं जल व ध्वनि प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हुई है। दीपावली पर पटाखे जलाने से ध्वनि एवं वायु प्रदूषण तो बढ़ेगा ही लेकिन बाद में जो अपशिष्ट बचेगा वह मिट्टी में मिलकर पानी को भी प्रदूषित करेगा। सुबह- शाम ठंडक व दिन में धूप ने सेहत की गणित बिगाड़ दी है। ऐसे में जहां जुकाम-बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं वहीं सांस के रोगियों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।

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