लोहिया संस्थान :ओटी में बाहरी डाक्टर, मचा डाक्टरों में बवाल

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लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मंगलवार को कार्डियक विभाग की कैथ लैब में दो वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच हुए विवाद का बुधवार को नया मोड़ ले लिया। आरोप -प्रत्यारोप के बीच संस्थान प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर दी है तो दूसरे डॉक्टर ने भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी, तो दूसरे पक्ष ने भी अपनी रिपोर्ट दर्ज करा दी। कार्डियक विभाग के दो डॉक्टरों में एक-दूसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराये जाने पर संस्थान प्रशासन में हड़कम्प मच गया। इस घटना पर संस्थान के डॉक्टर दो खेमे में बंट गए हैं। निदेशक का कहना है कि जांच कमेटी गठित कर दी गयी है, रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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बताते चले कि लोहिया संस्थान में मंगलवार को हार्ट अटैक होने पर मरीज रफीक (65) को ले भर्ती कराया गया था। संस्थान में कार्डियक विभाग के डा. आशीष झा जांच के बाद उसे कैथ लैब में ले गये। आरोप है कि उनके साथ निजी अस्पताल के डा. मनीष झा भी थे। इसी दौरान वहां किसी और मरीज को लेकर डा. सुदर्शन विजय पहुंचे। दोनों के बीच तीखी नोंक झोंक हो गयी। इसके बाद डा. सुदर्शन विजय ने डा. मनीष झा और निजी अस्पताल के डा. आशीष झा के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने और गाली गलौच करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। वही दूसरी डा. मनीष झा ने भी जाकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी। रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि वह कैथ लैब में मरीज रफीक को लेकर पहुंचे थे कि वहां डा. सुदर्शन आए और कहा कि संबंधित टेबल पर वह अपना मरीज लेटाएंगे। उन्होंने मरीज को तत्काल बाहर निकलाने का निर्देश देते हुए गालियां देने लगे।

इससे लैब के अंदर तनाव हो बन गया। इस कारण मरीज की एंजियोप्लास्टी हो पायी । इस संबंध में मरीज रफीक के बेटे रिजवान की ओर से भी थाने में एक तहरीर दी गई है, जिसमें डा. सुदर्शन पर गाली गलौज करने का आरोप लगाया गया है। इस बारे में निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी ने बताया कि घटना के संज्ञान में आने के बाद डीन डा. नुजहत हुसैन की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में डा. एके सिंह एवं डा आलोक कुमार शामिल हैं। इन्हें तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है, फिलहाल जिस मरीज को लेकर लोहिया संस्थान में बवाल है, उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। मरीज के परिजनों ने बुधवार को निदेशक से मुलाकात की।

उन्होंने मरीज के इलाज की व्यवस्था कराने की मांग की। निदेशक ने कहना है कि मरीज कोई भी हो। इलाज में कोताही नहीं बरती जाएगी। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि दोनों डॉक्टरों ने अपनी बात लिख कर दिया है। उन्होंने बताया कि जहां तक ओटी में निजी अस्पताल के डॉक्टर का आने का आरोप है, तो इसकी भी जांच कराई जा रही है। यह भी सही है कि निजी अस्पताल का डॉक्टर संस्थान का छात्र रह चुका है, लेकिन वह संयोग से इस मरीज को लेकर आया था अथवा अक्सर ऐसी स्थिति रहती है, इसको भी जांच में शामिल किया गया है।

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