डेस्क। एनएमसी विधेयक को जन-विरोधी बताते हुए एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों के संघ ने स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को प्रस्तावित कानून पर खुली चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने कहा कि विधेयक में ऐसे कई प्रावधान हैं जो देश में चिकित्सा शिक्षा का भविष्य बिगाडने के लिए काफी हैं। संघ ने दावा किया कि एमसीआई की जगह नयी चिकित्सा परिषद के गठन के प्रावधान वाला प्रस्तावित विधेयक चिकित्सा शिक्षा को अमीर आैर ताकतवर लोगों के हाथ में दे देगा। संसद ने विधेयक को एक स्थाई समिति को अध्ययन के लिए भेजा है।
एम्स के रेजीडेंट संघ के अध्यक्ष हरजीत ंिसह भट्टी ने नड्डा को लिखे पत्र में कहा कि डॉक्टर उस दिन से डरे हुए हैं जिस दिन विधेयक संसद में पेश किया गया था। उन्होंने लिखा, ”एनएमसी के अधिकतर सदस्यों को नौकरशाहों आैर नेताओं द्वारा मनोनीत किये जाने, 60 प्रतिशत से अधिक सीटों पर शुल्क का फैसला करने पर कॉर्पोरेट क्षेत्र का पूरा नियंत्रण होने, छात्रों की शिकायत निवारण के लिए कोई प्रावधान नहीं होने आैर ब्रिाज कोर्स जैसे प्रावधान के मुद्दे देश में चिकित्सा शिक्षा का भविष्य बिगाडने के लिए काफी गंभीर हैं।”” भट्टी ने कहा कि संघ ने इस मामले में मंत्री से मिलने के लिए समय भी मांगा है।