लखनऊ। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल ( एनएमसी) के खिलाफ शनिवार को इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा ने शनिवार को विरोध किया। राजधानी के निजी क्षेत्र के अस्पतालों व क्लीनिकों में इसका मिला जुला असर रहा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक निजी क्ष़ेत्र के चिकित्सकों से आईएमए ने काम काज बंद रखने की अपील की थी। इस कारण कुछ अस्पतालों व डाइग्नोस्टिक सेंटर में ओपीडी सेवाओं से लेकर सर्जरी तथा जांच तक बंद रहीं,वहीं कुछ लोग धड़ल्ले से पूरे दिन अपना डाइग्नोस्टिक सेंटर खोल कर पूरे दिन मरीजों का इलाज व जांच होती रही।
चौक स्थित निजी डायग्नोस्टिक, महानगर स्थित डायग्नोस्टिक तथा कई डायग्नोस्टिक सेंटर समेत कई सेंटरों पर सुबह से ही मरीजों की जांचें सामान्य दिनों की तरह होती रही। इंडियन मेडिकल असोसिएशन लखनऊ के अध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने नैशनल मेडिकल कमिशन बिल के विरोध में शनिवार को करीब 1400 प्राइवेट अस्पताल, क्लिनिक से साथ ही साथ डायग्नोस्टिक सेंटर को सुबह छह से शाम छह बजे तक बंद करने का ऐलान किया था।
बताया जाता है कि आईएमए के सदस्य ही इस हड़ताल में एक जुटता नहीं दिखा रहे थे, जिससे राजधानी के कई डायग्नोस्टिक सेंटरों पर मरीजों की जांच होती रही है, जिसकी वजह से आईएमए के हड़ताल का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। आईएमए के सचिव डॉ जेडी रावत ने बताया कि सभी सदस्यों की सलाह पर शनिवार को हड़ताल करने का ऐलान किया गया था। हालांकि जिन-जिन डायग्नोस्टिक सेंटरों पर मरीजों की जांचें की गई है। उन सदस्यों सेजवाब तलब किया जाएगा। उन्होंने नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध करते हुए इस बिल को पूर्णत: अलोकतांत्रिक, गरीबों के विरूद्ध, संघीय विरोधी, कमजोर समुदाय विरोधी एवं अमीरों को रास आने वाला बताया है।
डा.जे.डी.रावत ने कहा कि इस बिल के माध्यम से भारत सरकार के समस्त अधिकारों को केन्द्रीय.त करने का इरादा स्पष्ट दिखाई देता है। लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए एमसीआई को समाप्त कर राष्ट्र चिकित्सा आयोग का गठन पूर्णत: अलोकतांत्रिक है। करीब 80 प्रतिशत बोर्ड मेम्बर सरकार द्धारा नामित होगे न कि इलेक्ट होगे । इससे राज्य चिकित्सा का प्रतिनिधित्व पूर्ण रूप से हाशिये पर कर दिया गया है। 25 सदस्यी एनएमसी विल में इसमें 5 की जगह 9 सदस्यों को समूहबद्ध किये जाने की सिफ ारिश को भी अस्वीकार किया गया है । इतना ही नहीं 50 प्रतिशत सीट मेडिकल कालेज में सरकारी टेस्ट के बाद भरे जायेंगे। जबकि 50 प्रतिशत मेनेजमेन्ट कोटे पर बोली लगेगी और पूॅजी पतियो के बच्चे पढेंग़े , मॅहगी पढ़ाई एवं महॅगा इलाज का वोझ जनता पर पड़ेगा ।
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