लखनऊ । प्रदेश होम्योपैथी निदेशालय आैर मेडिसिन बोर्ड के अन्तर्गत निजी शिक्षण संस्थानों में दी जाने वाली छात्रवृत्ति के दुरुपयोग की शिकायत की गयी थी।
शिकायत के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर निदेशक समाज कल्याण विभाग की जांच में बहुत गड़बड़ियों मिली। जांच रिपोर्ट तेरह जुलाई को आ गयी। जांच रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री ने सख्त कदम उठाते हुए जीरो टालरेंस के आधार पर त्वरित निर्णय लिया और अपर निदेशक शिक्षा होम्योपैथी प्रो.मनोज यादव (तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार यूपी होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड) लखनऊ व वरिष्ठ लिपिक यूपी होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड विनोद यादव को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया।
्इसके साथ ही अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा दो संविदा कर्मी लिपिकों को बर्खास्त करते हुए उनके विरुद्ध एफआईआर कराने के भी निर्देश दिये गये हैं। इसके अलावा सम्पूर्ण प्रकरण की विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन से कराने का निर्देश दिया गया है।
निदेशक समाज कल्याण विभाग द्वारा किये गये जांच में पुष्टि गयी कि मेडिसिन बोर्ड के संविदा लिपिक दिनेश चंद्र दुबे व सुषमा मिश्रा द्वारा डीएससी का दुरुपयोग किया था। इन दोनों संविदा लिपिकों का तत्काल प्रभाव से उनकी संविदा समाप्त करते हुए उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है। इसी कड़ी में सुश्री सुनीता मलिक जो मेडिसिन बोर्ड की सदस्य नहीं है आैर उनके नाम का फर्जी डीएससी बनाकर आैर उसका दुरुपयोग करते हुए की गयी। वित्तीय अनियमितता / आपराधिक कृत्य के लिए उनके विरुद्ध संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया गया।
यही नहीं मेडिसिन बोर्ड की छात्रवृवि वितरण में हुई वित्तीय अनियमितता/ आर्थिक क्षति की रिकवरी समाज कल्याण विभाग द्वारा करने आैर छात्रवृत्ति में हुई वित्तीय अनियमितता के लिए शिक्षा विभाग एवं समाज कल्याण के संबंधित उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध विभाग द्वारा कार्यवाही का निर्देश दिया गया है। यही नहीं यूपी होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड एवं यूपी आर्युवेदिक एवं यूनानी तिब्बती चिकित्सा पद्धति बोर्ड को यह निर्देशित किया गया कि जब तक बोर्ड द्वारा कालेजों की सम्बद्धता हेतु सिलेबस एवं अवस्थापना सुविधाओं आदि के संबंध में रुल्स सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त करके जारी न हो जाये । तब तक उक्त दोनों बोर्डों द्वारा किसी नये कालेज की सम्बद्धता/ मान्यता जारी न किया जाये। जिन कालेजों की मान्यता/सम्बद्धता उक्त दोनों बोर्डों द्वारा पूर्व में जारी कीजा चुकी है का भौतिक सत्यापन संबंधित जनपद के जिलाधिकारी से कराया जाये।