Kgmu: कार्यपरिषद में शिक्षक संघ का सदस्य होना जरूरी

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कार्यपरिषद की वैधानिकता पर प्रश्न चिह्न लगा दिया हैं। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि कार्यपरिषद में नियमानुसार कोई सदस्य नहीं है, जब कि केजीएमयू के सभी नीतिगत महत्वपूर्ण निर्णय कार्यपरिषद से ही अंतिम मुहर लगती है। पदाधिकारियों का आरोप है कि अधूरी कार्यपरिषद का महत्वपूर्ण निर्णंय लेना गलत है।

 

 

 

 

शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. केके सिंह, महामंत्री डॉ. संतोष कुमार और कोषाध्यक्ष डॉ. भाष्कर अग्रवाल ने संयुक्त रूप से बताया कि कार्य परिषद में कई वर्षो से निर्वाचित सदस्य नहीं रखा गया हैं। ऐसे में संघ के कम से कम दो सदस्यों को कार्य परिषद की बैठक में बुलाया जाए।

 

 

 

 

 

अध्यक्ष डॉ. केके सिंह का कहना है कि केजीएमयू अधिनियम के अनुसार कार्य परिषद में 22 सदस्य होने चाहिए। इसमें कोर्ट से निर्वाचित चार पंजीकृत स्नातक भी शामिल हैं। फिर भी गुजरे पांच साल से कार्य परिषद में निर्वाचित सदस्य नहीं हैं। वर्तमान में मात्र ग्यारह सदस्यों को ही कार्य परिषद की सूचना भेजी जाती है। बैठक में मात्र सात-आठ सदस्य ही मौजूद रहते हैं। आरोप हैं कि ज्यादातर सदस्य विवि के पदाधिकारी ही मौजूद होते हैं। ऐसे में कार्य परिषद कुलपति अपनी तरह से चलाते हुए निर्णय कराने में महत्वपूर्ण होते है। इसलिए संघ के दो सदस्यों को विशेष सदस्य के रूप में कार्य परिषद में बुलाया जाए।

 

 

 

महामंत्री डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि हाल में दिवंगत हुई डेंटल यूनिट की डॉ. दिव्या मेहरोत्रा के लिए सभी चिकित्सक शिक्षक अपनी एक-एक दिन का वेतन देंगे। इस तरह की दुखद घटनाओं में शिक्षकों की मदद के लिए संघ स्थायी कॉपर्स फंड बनाये जाने प्रस्ताव है। इसमें सभी चिकित्सक शिक्षक कुछ दिन का वेतन स्वंय देंगे। फंड बनाने का क्रम करीब पांच साल चलेगा। दुखद घटनाओं में चिकित्सक शिक्षक व उनके परिजनों की मदद आसानी से की जा सकेगी।

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