लखनऊ – जीएसटी में पंजीकृत कारोबारियों की संख्या को बढ़ाने के लिए कारोबारियों के काम को उलझाने की जगह सुलझाने की मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने वाणिज्य कर विभाग के अफसरों से जो आशा व्यक्त की है, उसका निर्वाह लखनऊ की असिस्टेन्ट कमिश्नर द्वारा बखूबी किया जा रहा है। सोमवार को अधिवक्ताओं व कारोबारियों की समस्याओं को महिला अधिकारी ने जिस सरलता के साथ निपटा दिया उसे देखकर अधिवक्ता भी कहने को मजबूर हो गये कि अगर सभी अनुभागों में इसी तरह से काम हो तो वो दिन दूर नहीं है जब वाणिज्य कर विभाग की छवि प्रदेश के बेहतर विभागों में होगी।
पिछले दिनों अधिकारी संघ के अधिवेशन में सीएम ने विभाग के अधिकारियों को अपनी कार्यशैली में सुधार करने की नसीहत दी थी। कि दो दिन बाद ही लखनऊ स्थित जोन कार्यालय में अधिवक्ताओं व खण्ड 20 के वाणिज्य कर अधिकारी के बीच जो युद्ध हुआ उससे गोमती नगर क्षेत्र के कारोबारियों का यह खण्ड सुर्खियों में आ गया। अधिवक्ताओं ने वाणिज्य कर अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए, जिससे विभाग की छवि खराब हुई, लेकिन वहीं सोमवार को सिक्के का दूसरा पहलु भी देखने को मिला। खण्ड-20 में तैनात असिस्टेंट कमिश्नर दिप्ती अग्रवाल के पास अधिवक्ता व कारोबारी नए पंजीयन में आने वाली दिक्कतों को लेकर पहुंचे।
असिस्टेन्ट कमिश्नर ने अधिवक्ताओं व व्यापारियों की समस्याओं को सुना आैर काम को नियमों में उलझाने की मानसिकता से ऊपर उठकर उसको सुलझाने का तरीका बताया। महिला अधिकारी के इस मिलन सार व्यवहार को देखकर अधिवक्ता व अधिकारी दंग रह गए,महिला अधिकारी ने भोजन अवकाश के समय जबकि अधिकारियों से फोन पर भी बात करना कठिन होता है, उस समय भी एक-एक सवालों के बहुत ही सरल तरीके के से जवाब भी दिए। सीधे लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जरिए विभाग में आयीं महिला असिस्टेन्ट कमिश्नर की बात से प्रभावित होकर उन कारोबारियों ने अपनी फर्मो के स्थानान्तरण का फैसला भी बदल दिया है, जो कि दो दिन पूर्व वाणिज्य कर अधिकारी कार्यालय में हुए विवाद से निराश थे आैर अपनी फर्मों को दूसरे खण्ड में स्थानान्तरण करवाना चाहते थे।
आज नजर आए इस नए बदलाव के बाद महिला अधिकारी उन अधिकारियों के लिए प्रेरणा बन गयी हैं जिनके कक्ष में रोज मार-पीट की नौबत आती है। कारोबारियों का यह भी कहना है कि कमिश्नर को खण्ड में अधिकारियों की तैनाती के समय उनके व्यवहारिक पक्ष का भी आकलन करना चाहिए जिससे कारोबारियों में भय व तनाव समाप्त हो आैर अधिकारी व व्यापारी एक ही गाड़ी के दो पहियों की तरह राजस्व की गाड़ी को अपनी मंजिल तक पहुचाने में सफल हो सकें।
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