लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को मेडिकोज व कर्मचारियों के बीच मारपीट और तोड़फोड़ के प्रकरण में जांच अभी जारी है, लेकिन आरोप है कि संस्थान मेडिकोज के बचाव करने में जुट गया है। कर्मचारियों का आरोप है कि एमबीबीएस मेडिकोज ने पहचान कर कर्मियों को पीटा था आैर कम्प्यूटर को तोड़ा था। इस प्रकरण में एक कर्मचारी ने एफआईआर भी करा दी है।
बताया जाता है कि मेडिकोज पर एफआईआर के बाद अब संस्थान बचाव में आ गया है। तीन दिन बाद भी संस्थान के किसी भी मेडिकोज की पहचान होने से मुकर रहा है, जब कि पहले दो मेडिकोज की पहचान का दावा किया जा रहा था। सोमवार तक निदेशक ने रिपोर्ट प्रस्तुत करके के लिए कमेटी से कहा था, लेकिन अभी पहचान ही न होने पर कमेटी किसके खिलाफ रिपोर्ट देगी।
जांच कमेटी के अध्यक्ष डॉ एसएस राजपूत ने बताया कि हमने सीसीटीवी कैमरा खंगाला गया, लेकिन उसमें कोई भी मेडिकोज की पहचान में नहीं हो पायी है। उनका कहना है कि कुछ एप्रन पहने दिखे है, लेकिन एप्रन सिर्फ एमबीबीएस मेडिकोज ही नहीं, बल्कि नर्स व रेजिडेंट भी पहनते हैं। जबकि मारपीट करने वालों ने एप्रन नहीं पहने उनकी पहचान भी नहीं हुई ऐसे में ये बाहरी लोग भी हो सकते हैं। फि लहाल कमेटी अब पीड़ित कर्मचारी से कहा जाएगा कि वह खुद मेडिकोज को देखकर पहचान करे। अगर वह किसी को पहचान लेता है तो फिर उस पर कार्रवाई की जाएगी। संस्थान के निदेशक डा. एके सिंह का कहना है कि कमेटी अपनी जांच कर रही है, अगर आरोपी की मेडिकोज की पहचान होती है तो उस पर सख्त कार्रवाई जरूर सुनिश्चित है।