बगैर अनुमति कोडीनयुक्त कफ सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के भंडारण एवं बिक्री पर लाइसेंस होगा निरस्त
लखनऊ । प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ सिरप और अन्य एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के अवैध भंडारण, बिक्री और वितरण पर रोक रोक लगा दी गई है। ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर लाइसेंस निरस्तीकरण के साथ ही आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी।
इस बाबत खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग ने कहा है कि इन दवाओं का अनुचित उपयोग समाज में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहा है और यह जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। शुक्रवार को आयुक्त (औषधि) डॉ. रोशन जैकब द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1945 की अनुसूची-एच और अनुसूची-एच। में शामिल कोडीनयुक्त दवाओं की बिक्री केवल पंजीकृत चिकित्सा प्रैक्टिशनर की वैध पर्ची पर ही अनुमति है।
जबकि चिकित्सा उपयोग तक सीमित इन दवाओं का अवैध व्यापार प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है और कई जिलों में व्होलसेल-प्वाइंट बनाकर बिना पर्ची दवाओं की बिक्री की जा रही है। कई मामलों में इन गतिविधियों से जुड़े व्यक्तियों पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता 2023) और एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। आदेश में कहा गया है कि हाल के महीनों में विभाग द्वारा किए गए व्यापक निरीक्षणों में यह पाया गया कि कई विक्रेता कोडीनयुक्त दवाओं का अवैध भंडारण कर रहे हैं।
इन दुकानों में दवाइयों की खपत का रिकॉर्ड, बिलिंग, स्टॉक रजिस्टर और बिक्री पर्चियों का अभाव पाया गया, जो सीधे-सीधे अवैध व्यापार की पुष्टि करता है। विभाग ने स्पष्ट किया कि यह एक गंभीर अपराध है और तत्काल सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
आयुक्त (औषधि) डॉ. रोशन जैकब के स्तर से जिलाधिकारियों को जारी निर्देश में कहा गया है कि औषधि निरीक्षक संदिग्ध दुकानों, गोदामों और वितरण केंद्रों पर बार-बार आकस्मिक निरीक्षण करें। निरीक्षण रिपोर्ट में डिजिटल फोटो, वीडियो और जियो-टैग्ड प्रमाण अनिवार्य रूप से संलग्न किए जाएँ। वहीं आवासीय परिसरों में दवाओं का लाइसेंस देना पूर्णत: प्रतिबंधित है। केवल व्यावसायिक उपयोग वाले भवनों को ही लाइसेंस के लिए पाा माना जाए। जबकि नए लाइसेंस जारी करते समय आवेदक के परिसर, दस्तावेजों और पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपलब्धता का कड़ा सत्यापन किया जाए।
सक्षम व्यक्ति की उपस्थिति अनिवार्य है। लाइसेंस नवीकरण के लिए औषधि निरीक्षक की विस्तृत रिपोर्ट, फोटो-जियो-टैगिंग और स्थलीय निरीक्षण जरूरी होंगे। बिना सत्यापन के नवीकरण न किया जाए। यदि किसी विक्रेता की गतिविधियों में अवैध व्यापार की पुनरावृत्ति पाई जाती है, तो उसके विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई पर विचार किया जाए।












