घबराये नहीं, किडनी कैंसर की आसान है सर्जरी

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लखनऊ – बढ़ते प्रदूषण व धूम्रपान से फेफड़े पर ही नहीं किडनी पर प्रभाव पड़ सकता है। यह किडनी के कैंसर (ट्यूमर) के रूप में हो सकता है। यू तो कि डनी कैंसर कई तकनीक से सर्जरी की जा सकती है, लेकिन रोबोटिक सर्जरी बेहद कारगर है। यह जानकारी रोबोटिक सर्जरी वि शेषज्ञ डा. मल्लिकार्जुन ने यूरोओंकोकॉन 2019 में कही। कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दियसीय कार्यशाला का उद्घाटन डा. मधुसूदन व केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने किया। कार्यशाला यूरोलॉजिकल एसोसिएशन आफ उत्तर प्रदेश लखनऊ यूरोलॉजी क्लब ने सयुक्त तत्वावधान में की गयी, जिसमें देश -विदेश से आये विशेषज्ञ भाग ले रहे है और किडनी कैंसर में नयी तकनीक की सर्जरी की जानकारी दी।

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रोबोटिक सर्जरी विशेषज्ञ डा. मल्लिकार्जुन ने कहा कि यू तो कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है, लेकिन किडनी में कैंसर ज्यादा धूम्रपान व प्रदूषण के कारण होता देखा गया है। शुरू दौर में अगर चालीस वर्ष की उम्र के बाद अगर लगातार बुखार बना रहे, भूख कम लगे और वजन तेजी से कम हो, तो विशेषज्ञ के परामर्श से जांच करा ही इलाज कराना चाहिए, यह किडनी ट्यूमर के लक्षण हो सकते है। इसमें एक अल्ट्रासाउंड से इसकी जानकारी मिल सकती है। उन्होंने कहा कि अब नयी तकनीक से की गयी सर्जरी में किडनी नहीं निकलनी पड़ती सिर्फ ट्यूमर या कैंसर वाला भाग ही निकाल दिया जाता है और किडनी सुरक्षित रहती है।

उन्होंने बताया कि रोबोटिक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में हाथों के मूवमेंट के अलावा 360 डिग्री का मूवमेंट हो सकता है, जिससे आसानी से ट्यूमर को निकाला जा सकता है। मुंबई के निजी अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ.युवराजा ने बताया कि वे अब तक 15,00 से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी करने में सफलता पायी है। उन्होंने बताया कि इसकी खास बात यह होती है कि रोबोटिक ओपेन के मुकाबले 90 फीसद पैनलेस होती है। मरीज दूसरे दिन ही काम पर जा सकता है। ब्लड लॉस नही होता है।

केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएन शंखवार ने बताया कि युवा लोग प्रिजर्वेटिव फूड, फास्ट फूड का ज्यादा सेवन करते है। ज्यादातर में कैडमियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो कि धीरे- धीरे शरीर में किडनी कैंसर का जिम्मेदार हो सकता है। उन्होंने बताया कि अगर परिवार में किसी को किडनी कैंसर होतो ऐसे में सर्तक हो जाना चाहिए। चार से आठ प्रतिशत कैंसर होने की संभावना होती है। उसे प्रति वर्ष एक अल्ट्रासाउंड करा लेना चाहिए और विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श ले सकता है।

टेक्सास यूएस के एमडी एंड्रीयू कैंसर सेंटर के यूरोलॉजी विभाग के डॉ. क्रिस्टोफर वुड ने बताया कि विदेशों में किडनी कैंसर 70 वर्ष से होता है। वहीं भारत में यह 50 वर्ष से कम की उम्र में पाया गया है। शुरुआती लक्षण मिलने पर सर्जरी से इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा टारगेटेड इम्यूनोथेरेपी भी की जाती है।

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