खांसी का सही इलाज व कफ सिरप चयन का प्रशिक्षण देगा केजीएमयू

0
191

रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्रेनिंग एंड मैनेजमेंट का दर्जा

Advertisement

लखनऊ। खांसी के सिरप को लेकर देशभर में बहस और विवाद जारी है। इस बीच एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्रेनिंग एंड मैनेजमेंट का दर्जा दिया है। इसके साथ ही खांसी के सही उपचार और उपयुक्त कफ सिरप के चयन से संबंधित प्रशिक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है। इस उपलब्धि के लिए केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. सूर्यकान्त को बधाई दी है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक राष्ट्रव्यापी कार्यशाला कर मेजबानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, लखनऊ शाखा ने की। रिवर बैंक कालोनी के आईएमए भवन में आयोजित इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि खांसी का कारण जानने के लिए रोगी का विस्तृत इतिहास और परीक्षण किया जाना चाहिए।

खांसी के कारण के अनुसार ही कफ सिरप या अन्य दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में कई कफ सिरप मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं तथा कुछ सिरपों में प्रयोग की जा रही दवाएँ एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं। ऐसे सिरपों पर भारत सरकार ने वर्ष 2023 के गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से प्रतिबंध लगाया है।

देश के पहले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्रेनिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ कफ सिरप के प्रभारी डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि कुछ सिरपों में खांसी को दबाने वाली और खांसी को बढ़ाकर बलगम निकालने वाली दोनों प्रकार की दवाएँ एक साथ मिली होती हैं, जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि डेक्स्ट्रोमेथोर्फन, जो खांसी दबाने की दवा है, को अम्ब्रोक्सोल या गुआइफेनेसिन जैसी दवाओं के साथ मिलाकर नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये एक-दूसरे के विरोधाभासी प्रभाव वाली दवाएँ हैं।

डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि कोडीन युक्त कफ सिरप पर प्रतिबंध है, अतः चिकित्सकों को ऐसे सिरप रोगियों को नहीं देने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ कफ सिरपों में ऐसे तत्व पाए गए हैं जो यकृत (लिवर) और गुर्दों के लिए हानिकारक होते हैं।

डॉ. सूर्यकान्त ने आगे बताया कि अस्थमा और सांस के रोगियों को खांसी दबाने वाले सिरप नहीं लेने चाहिए। ऐसे रोगियों को बलगम निकालने और श्वासनलियों को खोलने वाले सिरप का प्रयोग करना चाहिए। सर्दी-खांसी में केवल भाप (स्टीम) लेना पर्याप्त होता है, पहले सप्ताह में सिरप की आवश्यकता नहीं पड़ती। यदि खांसी एक सप्ताह से अधिक बनी रहती है, या साथ में बुखार और सांस फूलने की समस्या है, तो मेडिकल स्टोर से सिरप लेने के बजाय अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

कार्यशाला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, लखनऊ की अध्यक्ष डॉ. सरिता सिंह तथा सचिव डॉ. संजय सक्सेना के नेतृत्व में रिवर बैंक कॉलोनी, लखनऊ स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भवन में आयोजित की गयी। इस आयोजन में लगभग 200 चिकित्सकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष डॉ. बी.एन. गुप्ता, डॉ. जी.पी. कौशल और डॉ. जे.डी. रावत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

Previous articlePGI : वॉकथॉन कर ब्रेस्ट कैंसर के प्रति किया जागरूक
Next articleपर्व और त्यौहार आयोजन नहीं , प्राचीन विरासत के प्रतीक : योगी आदित्यनाथ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here