लखनऊ। हड़ताल की जानकारी मिलते ही केजीएमयू की ओपीडी में काम काज ठप हो गया। ओपीडी में डाक्टर तो मौजूद थे, लेकिन पर्चा काउंटर , अोपीडी के कमरों के बाहर कोई नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में अफरा-तफरी मच गयी। हड़ताल की जानकारी मिलते ही काफ ी मरीज खुद की बेउम्मीद हो कर जाने लगे थे। इसी प्रकार ओपीडी से लेकर वार्डो तक मरीजों के तीमारदार ब्लड का नमूना लेकर खुद गये, लेकिन उन्हें पैथालॉजी विभाग में काम करता कोई नहीं मिला। जो स्टाफ मौजूद था । वह बिना लिखा पढ़ी के ब्लड का नमूना लेना नहीं चाहता था।
तीमारदार अपने मरीज का ब्लड का नमूना लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचे। यहंा पर उन्हें उम्मीद थी कि पीपीपी माडल के तहत चल रही लैब में जांच हो सकती है, लेकिन जांच ट्रामा सेंटर में भी बंद चल रही थी। ऐसे में ज्यादातर तीमारदार निजी पैथालाजी जांच कराने चले गये। परन्तु मंहगी जांच के लिए गरीब मरीजों के तीमारदार जांच कराने नहीं जा पाये। उन्हें हड़ताल समाप्त होने का इतंजार ही करना पड़ा।
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