लखनऊ । किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने इप्लांट खरीदने की योजना में फेरबदल कर दिया है, इससे सीधे तौर पर भुगतान और कमीशन खोरी पर रोक लग जाएगी। कुछ समय पहले कमीशन खोरी का आरोप लगा था। नई योजना से बीपीएल, गरीब, असाध्य, पीएम और सीएम फंड से गरीबों को निशुल्क मिलने वाले इलाज पर से संकट के बादल टलने वाले हैं। इंप्लांट के भुगतान में कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए कंपनियों ने सप्लाई करने से मना कर दिया था। जिसके बाद गरीबों के इलाज पर संकट खड़ा हो गया था। इसको देखते हुए केजीएमयू ने इंप्लांट खरीदने की योजना बदल ली है। अब अमृत फार्मेसी से इंप्लांट लिए जाएंगे।
इसी महीने केजीएमयू ने सीएमएस को लिखे पत्र में 25 फीसदी कमीशनखोरी का आरोप लगाया था। कंपनी का कहना था कि एचआरएफ और सोसायटी का स्टोर होने के बाद भी भुगतान एक नीजि मेडिकल स्टोर से कराया जा रहा था। जिसके लिए स्टोर 25 फीसदी कमीशन लेता है और काफी समय से भुगतान नहीं किया है। ऐसे में इंप्लांट नहीं दे पाएंगे। पिछले दो सालों में करीब सात सौ ज्यादा इंप्लांट लगाए जा चुके हैं। इनमें करीब चार सौ से ज्यादा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष के मरीज हैं। ऐसे में करीबों के इलाज पर संकट पैदा हो गया था। इसको देखते हुए केजीएमयू प्रशासन ने अमृत फार्मेसी के साथ करार किया है। अब इंप्लांट अमृत से लिए जाएंगे।
अधिकारी ने यह कहा…
इंप्लांट की दिक्कतों को दूर किया जा रहा है। अमृत फार्मेसी के जरिए इंप्लांट उपलब्ध कराने की रणनीति बनाई गई है। जल्द ही यहां से आपूर्ति शुरू हो जाएगी। – डॉ़ एस एन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू।
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