लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में फेफड़े के जटिल बीमारियों के गंभीर मरीजों का इलाज ठप हो गया है। यहां आये मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। शनिवार को हरदोई से ट्रामा सेंटर गंभीर हालत में पहुंचे एक बुजुर्ग की हालत बिगड़ गयी। उसने पहले आरआईसीयू में इलाज कराया था। उसके शिफ्ट होने जाने पर फेफड़े के इलाज में प्रयोग की जाने वाली थोरेकोस्कोपी बंद हो गई है। यहीं नहीं न्यूमो थोरेक्स (फेफड़े में हवा भरना), हाइड्रोथोरेक्स (फेफड़े में पानी आना), हीमोथोरेक्स (प्लूरा में रक्त भरना), चेस्ट इंजरी, प्लूरल इंजरी, फेफड़े में ट्यूमर का इलाज तो दूर कैंसर की बायोप्सी सैंपल कलेक्शन भी ट्रॉमा सेंटर में नहीं हो सकेगा। जब कि सभी गंभीर मरीज सीधे केजीएमयू के ट्रामा सेंटर ही भेजे जाते है।
बताते चले कि ट्रॉमा सेंटर में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन का आरआइसीयू पांचवें तल पर स्थित था। अब आरआइसीयू की जगह क्रिटिकल केयर मेडिसिन को दे दी गई। ऐसे में आरआइसीयू में इंस्टॉल थोरेकोस्कोपी व ब्रांकोस्कोपी के उपकरणों को शताब्दी फेज-टू भेज दिया गया। इसके बाद अब चेस्ट इंजरी, इंफेक्शन के मरीजों को अधिक परेशानी होगी। अक्सर हेड इंजरी के मरीज को बेहोशी की हालत में उल्टी हो जाती है। ऐसे में फेफड़े में गंदगी पहुंच जाती है, जिसे थोरेकोस्कोपी से तत्काल निकाला जाता था। वहीं चेस्ट इंजरी से फेफड़े में रक्त पहुंचने व रेप्चर नलिकाओं को दुरुस्त करने में मददगार होती है। अब इन गंभीर मरीजों को या तो शताब्दी फेज टू भेजा जाएगा। या फिी ऑन काल डाक्टर आकर फौरी तौर पर ही इलाज कर सकेगा। इमरजेंसी क्लीनिकल ट्रीटमेंट मिलना मुश्किल हो जाएगा।
केजीएमयू प्रवक्ता डा. सुधीर का दावा है कि अब ऐसे में इन मरीजों को जांच के लिए अब शताब्दी भवन भेजा जाएगा।
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