लखनऊ। केजीएमयू में मरीजों को उच्चगुणवत्ता की जेनरिक दवायें मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा शुरू किये गये जनऔषधी केंद्र पर मरीजों को सभी दवायें नहीं मिल पा रही हैं। वहीं कुछ दवाओं के मूल्य में बहुत कम अंतर होने पर मरीज ज्यादातर दवायें बाहर से ही खरीद रहे हैं।
चिकित्सा विश्वविद्यालय के गांधी स्मॉरक एवं सम्बंध चिकित्सालयों में मरीजो के कल्याण हेतु उच्च गुणवत्ता की जेनरिक औषधि तथा चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने हेतु भारत सरकार के द्वारा अधिकृत अमृत फ ार्मेसी के साथ चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा अनुबंध किया गया है। बीते २१ अगस्त को जब यह जनऔषघी केन्द्र की शुरूआत हुयी। तब यह दावा किया गया था कि यहां पर कैंसर और कार्डियो वैस्कुलर तथा अन्य रोगों से ग्रसित मरीजों को कम दरों पर औषधि तथा अन्य सर्जिकल उत्पाद मिल सकेंगे। इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा था मरीजों को जो ६० से ७० प्रतिशत कम दर पर जेनरिक दवाओं उपलब्ध होंगी,लेकिन मौजूदा समय मरीजों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
केस-१
सीतापुर निवासी राजकुमार अपनी पत्नी को केजीएमयू में दिखा रहे हैं। गुरूवार को वह अपनी पत्नी को दिखाने केजीएमयू आये थे। जिस पर चिकित्सक ने उनकी कुछ दवायें बदली थी। जो दवायें चिकित्सक द्वारा लिखी गयी थी,उसमें रेनटेक सीरप तथा रेबीफेर-डीएसआर कैप्सूल जैंसी दवायें भी नहीं मिल पा रही थी। जिसके बाद मरीज को यह दवायें बाहर से खरीदनी पड़ी।
केस-२
हरदोई निवासी आमिर ने बताया कि उन्हें हेपेटाइटिस -बी का संक्रमण है। जिसका इलाज केजीएमयू में पिछले काफी दिनों से चल रहा है। उन्हें इलाज से काफी लाभ भी है। लेकिन इस बीमारी की दवायें काफी मंहगी है। अमृत फार्मेसी से सस्ती दवायें मिलने की बात सुन वह भी औषधी केंद्र पर पहुंचे थे,लेकिन बाहर व अन्दर की दवा में मात्र २० रूपये का अंतर होने के चलते । उन्होंने बाहर से दवा खरीदना मुनासिब समझा। आमिर का कहना था कि महिने भर की दवा में मात्र २० रूपये का अंतर आ रहा था। इसके चलते दूसरे कम्पनी की दवा नहीं खरीदी।
आमिर और राजकुमार सरीखे मामले तो बानगी मात्र है। यहां दवा खरीदने वाले ज्यादातर मरीजों को दवा न मिल पाने के चलते बाहर का रुख करना पड़ रहा है