लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद ने संस्थान प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दे दी है। परिषद की ओर से इस संबंध में केजीएमयू के कुलपति को पत्राचार कर दिया गया है। परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि गैर शैक्षणिक कर्मचारियों स्थायी व आउटसोर्सिंग की पिछले चार साल से लंबित समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी है।
परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार और महामंत्री राजन यादव ने बताया कि केजीएमयू में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को आरएमएल और पीजीआई के समान वेतनमान देने के लिए मुख्यमंत्री ने 18 जून, 2018 को समीक्षा बैठक करके आदेश दिया था। जिसके बाद अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग डॉ. रजनीश दुबे ने नौ अगस्त, 2018 को तत्कालीन विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग जयंत नार्लिंकर की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर शासन को अपनी रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया था। इस कमेटी ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतनमान को एनएचएम के समान देने की रिपोर्ट दी थी। करीब दो साल हो चुके हैं। लेकिन कर्मचारियों को आज तक लाभ नहीं मिल सका है।
प्रदीप ने परिषद की ओर से केजीएमयू कुलपति से मांग की है कि कर्मचारियों की मांगों को जल्द निस्तारित किया जाए। यदि शासन-प्रशासन कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में देरी करेगी तो कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेंगे। कर्मचारी परिषद के बैनर तले 28 जनवरी से काला फीता बांधकर संस्थान परिसर में शांति मार्च निकाला जाएगा। उसके बाद अगले दिन 29 से 31 जनवरी तक दोपहर 12 से शाम चार बजे तक प्रशासनिक भवन के सामने धरना प्रदर्शन किया जाएगा। फिर एक से चार फरवरी तक धरने का समय बढ़ा दिया जाएगा। पांच फरवरी से मांगों का निस्तारण न होने तक 24 घंटे धरना दिया जाएगा। हालांकि मरीजों को दिक्कत न हो, इसलिए इमरजेंसी सेवा प्रभावित नहीं की जाएगी।