न्यूज। पांच महीने की बच्ची का लिवर प्रत्यारोपण करने में अपोलो अस्पताल के डाक्टरों ने सफलता पायी है। डाक्टरों के अनुसार यह बच्ची लिवर की बहुत ही असामान्य बीमारी ” बड़ चिहारी सिंड्रोम”” से ग्रसित थी।डाक्टरों के अनुसार यह बच्ची सुरामपुदी सिहिथा आंध्रप्रदेश निवासी है। परिजनों के अनुसार जब वह एक महीने की थी तो उसे पीलिया हो गया था और पेट में लगातार सूजन बढ़ने की वजह से उसकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गई।
अपोलो अस्पताल के गेस्ट्रोएंटरोलाजिस्ट और हेपेटोलाजिस्ट तथा बाल रोग विशेषज्ञ डा़ अनुपम सिब्बल के मुताबिक इस रोग से पीड़ति बच्चों में ” बिलियरी एट्रीसिया”” की समस्या देखने को मिलती है और यह बारह हजार बच्चों में से एक को होता है। इस बीमारी में यकृत तथा आंत के बीच कोई संपर्क नहीं होता है और इस बच्ची के मामले में पहले आंत तथा यकृत के बीच संपर्क बनाने की कोशिश की गई। लेकिन बच्ची का लिवर पहले ही काफी सिकुड़ा हुआ था तो इस प्रकिया को रोक दिया गया गया और बाद में यकृत प्रत्यारोपण का फैसला लिया गया।
उन्होंने बताया कि जब बच्ची को अस्पताल लाया गया जो उसका वजन साढ़े पांच किलोग्राम था और इसमें उसके पेट में भरा हुआ एक लीटर पानी भी शामिल था। एंजियोग्राफी में पता चला था कि उसके लिवर के हेपेटिक वीनस चैनल भी बंद थे, जिनसे लिवर में तरल पदार्थ की निकासी होती है। इस बीमारी का पता ” बड़ चिहारी सिंड्रोम” के रूप में लगाया गया और यह काफी दुर्लभ बीमारी है जो 20 लाख बच्चों में से एक बच्चे में देखने को मिलते हैं।
बच्ची की हालत गंभीर होने पर तत्काल लिवर प्रत्यारोपण का फैसला लिया गया । बिलियरी एट्रीसिया से पीड़ति बच्चों में लिवर प्रत्यारोपण सामान्य तौर पर किया जाता है, लेकिन यह सिंड्रोम बहुत ही असामान्य है। इस अस्पताल में अभी तक 320 बच्चों के लिवर प्रत्यारोपण हो चुके हैं और उनमें 140 से अधिक बच्चे बिलियरी एट्रीसिया से पीड़ित थे लेकिन बिलियरी एट्रीसिया और ” बड़ चिहारी सिंड्रोम का एक साथ होना अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है।
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