लखनऊ। अगर गठिया की शुरुआत हो चुकी है तो पालथी मार कर ज्यादा देर न बैठे, नहीं तो दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही दवा का सेवन करें। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आर्थोपैडिक विभाग के डा. संतोष कुमार ने घुटना प्रत्यारोपण प्रशिक्षण कार्यशाला में दी।
उन्होंने बताया कि जीवन शैली में बदलाव करके गठिया, आर्थराइटिस बीमारी से बचा जा सकता है। डा. संतोष कुमार ने बताया कि घुटना प्रत्यारोपण कराने से बचने के लिए हमे अपनी दिनचर्या में सुधार लाना होगा। इसके लिए वजन को नियत्रिंत करना चाहिए। व्यायाम करने से बेहतर है कि अगर नियमित साइकिंलिंग करना ज्यादा बेहतर होता है। उन्होंने बताया कि अगर गठिया की शुरुआत हो रही है, तो मरीज को ज्यादातर पालथी बैठक करके ज्यादा काम नही करना चाहिए। ऐसे में घुटने पर ज्यादा प्रेशर नहीं देना चाहिए।
डा. शैलेद्र सिंह ने बताया कि ज्यादातर लोग घुटना में कार्टिलेज के घिसने बाद ही प्रत्यारोपण कराने के लिए आते है। लोगों को मानना होता है कि घुटने के बीच का तरल पदार्थ सूख जाता है, परन्तु ऐसा नही होता है। घुटनों के अंदर कार्टिलेज घिसने का कारण ही चट- चट की आवाज आती है, जब कि प्रत्यारोपण कराने से पहले विशेषज्ञ सर्जन से परामर्श लेना चाहिए।
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