लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर के ज्यादातर विभागों में मरीजों की भर्ती की वेंटिग के चलते मरीज परेशान है, मरीजों को निजी अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए अंदर दलाल तक सक्रिय है। यह सब वार्ड से लेकर जांच होने तक मरीजों के तीमारदारों को दिक्कत होने पर उच्चस्तरीय इलाज का दावा करते है। कुछ चुनिंदा लोगों की मिली भगत से इन्हें निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए भेज दिया जाता है। जब कि आम तौर तो डाक्टर निकट के सरकारी अस्पताल मरीज को रेफर कर देते है।
ट्रामा सेंटर में आर्थोपैडिक, न्यूरो सर्जरी, मेडिसिन, बाल रोग के अलावा सर्जरी में भी मरीजों की वेंटिग चल रही है। गंभीर मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल यहां पर मरीज के भर्ती होने के साथ ही उसकी जांच करा कर गंभीरता का पता लगाया जाता है। बस यही से सक्रिय दलाल तीमारदार के आगे पीछे चलने लगता है, आैर जांच में इंतजार करने पर ऐसा व्यवहार करता है कि जांच कराने में दिक्कत ही दिक्कत होगी आैर उसके बाद वरिष्ठ डाक्टर इलाज के लिए आये या न आये। सभी खामियां बताते हुए तत्काल आैर उच्चस्तरीय इलाज कराने के लिए दावा भी करता रहता है। जहां तीमारदार इलाज में देरी से परेशान हुआ, तो तुरंत उसके मरीज को शिफ्ट करने के लिए हामी भरते ही कुछ ही मिनटों में मरीज बाहर एम्बुलेंस में मिलता है।
होता यह है कि इनका रैकेट बाहर की चाय की दुकान से लेकर अंदर वार्ड तक सक्रिय है। तीमारदार ने हामी की नहीं कि अंदर के लोग बाहर मरीज को शिफ्ट करने की ऐसी सक्रियता दिखाते है। दलालो में भी टीम वर्क होता है यह लोग क्रिटकल केयर आैर सामान्य मरीज को अलग काम करते हुए बाहर ले जाने में एक जुट हो जाते है। कुछ महीने पहले इन दलालों का काकस को तोड़ने के लिए ट्रामा सेंटर के बाहर चाय , गुटखा की दुकानों के साथ निजी एम्बुलेंस वालों को भी हटा दिया गया था, लेकिन यह सब कुछ दिन बाद फिर सक्रिय हो गये। आलम यह है कि ट्रामा सेंटर के बाद कुछ दुकानें 24 घंटे शिफ्टों में चलती है।
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