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लखनऊ। लोगों में बढ़ता मोटापा 70 प्रतिशत मरीजों को घुटनों पर हावी हो रहा है। घुटनों को आपस में रगड़ने से बचाने में अहम कॉटिलेज खराब हो रहा है, जबकि 30 प्रतिशत घुटनों की दिक्कतें अनुवांशिक कारणों से होती है। यह बात उप्र आर्थराइटिस फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. संदीप कपूर ने पत्रकार वार्ता में दी।
डॉ. संदीप कपूर ने बताया कि मोटापे के कारण घुटनों में घिसाव होता है, जिससे मरीज को दर्द होता है। काफी मरीजों को घुटना प्रत्यारोपण तक की जरूरत पड़ती है।
40 वर्ष की आयु के आसपास के युवाओं में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। इनमें घुटने का कुछ भाग ही प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है।
- कम उम्र में प्रत्यारोपण के अपने साइड इफेक्ट है। 15 से 20 साल के बाद मरीज को पुनरीक्षण सर्जरी करानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि घुटनों की परेशानी से बचने के लिए वजन पर काबू रखें। डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से मरीजों का इलाज आसान हो गया है। इससे प्रत्यारोपण और भी सुरक्षित हो गया है।