खांसी, बुखार के साथ बच्चे का वजन घटे तो कराएं टीबी की जांच

0
626

 

Advertisement

 

 

 

 

• एसजीपीजीआई की डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कहा, बच्चों में टीबी की पुष्टि करना चुनौतीपूर्ण
• प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात हों बाल रोग विशेषज्ञ तो हो सकती है स्क्रीनिंग आसान

 

 

 

 

 

लखनऊ । प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने की वजह से बच्चों में टीबी संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है। टीबी से प्रभावित होने के पीछे उनका कुपोषित होना, रोग को लेकर जानकारी की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं तक न पहुँच पाना भी है। पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को संक्रमण अक्सर घर के सदस्यों से होता है क्योंकि इनका अधिकतर समय घर में ही बीतता है। बच्चों में फेफड़े की टीबी की पुष्टि होना भी मुश्किल होता है। इसके लिए लक्षणों की सही से पड़ताल, क्लीनिकल परीक्षण, सीने का एक्स रे और बच्चे के परिवार की टीबी हिस्ट्री का पता होना जरूरी है।

 

 

 

 

 

एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य के अनुसार बच्चों में सर्दी, जुकाम, बुखार आम समस्या है। ऐसे में उनमें टीबी की पहचान करना कठिन होता है लेकिन इन समस्याओं के साथ अगर बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है या घट रहा है तो टीबी की जांच जरूर कराएं। यह भी ध्यान रखें कि बच्चे के बलगम का नमूना लेने में थोड़ी कठिनाई आती है क्योंकि बच्चे उसे निगल जाते हैं। उन्होंने बताया कि क्षय रोग दुनिया भर में बच्चों में मृत्यु दर का प्रमुख कारण है। ड्ब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 15 साल से कम उम्र के 11 लाख बच्चों में से 50 प्रतिशत से कम को टीबी का इलाज मिल पाता है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह और भी कम है।

 

 

 

 

 

 

इस उम्र वर्ग के केवल 30 फीसदी बच्चों का ही इलाज होता है। राज्य क्षय रोग इकाई से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 26, 450 बच्चे फिलहाल क्षय रोग से ग्रसित हैं। लिहाजा बच्चों में तपेदिक रुग्णता और मौतों को कम करने के लिए इलाज में सुधार के प्रयास और इस प्रकार तपेदिक उपचार तक पहुंच में सुधार करना अहम है।

डॉ. पियाली ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर बाल रोग विशेषज्ञों की अनुपलब्धता के कारण बच्चों की बीमारियों के इलाज में दिक्कत होती है। ऐसी स्थिति में या तो बच्चों का उपचार देर से शुरू होता है या फिर शुरू ही नहीं होता। दोनों स्थितियां खराब परिणामों की ओर इशारा करती हैं।
उन्होंने बताया कि इस साल की विश्व क्षय रोग दिवस की थीम – “हां, हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं“ का उद्देश्य आशा को प्रेरित करना और उच्चस्तरीय नेतृत्व को प्रोत्साहित करना, निवेश में वृद्धि करना, डब्ल्यूएचओ की नई सिफारिशों को तेजी से अपनाना, नवाचारों को अपनाना, त्वरित कार्रवाई और टीबी से निपटने के लिए बहुक्षेत्रीय सहयोग है।

Previous articleमहिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण जननांग टीबी : डॉ. स्मृति
Next articleक्षय रोग के साथ अन्य बीमारियों का प्रबन्धन जरूरी : डॉ. सूर्यकान्त

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here