होम्योपैथी को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में बढावा देने की मांग की

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न्यूज डेस्क। लोकसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने होम्योपैथी को चिकित्सा की किफायती एवं वैकल्पिक पद्धति के तौर पर बढावा देने की मांग की। सभी ने एक मत से कहा कि सरकार को दिशानिर्देश जारी करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी राज्यों में इस चिकित्सा पद्धति को बराबर सम्मान मिले। ‘होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक-2018 पर लोकसभा में बृहस्पतिवार को शुरू चर्चा को आगे बढाते हुए कुछ सदस्यों ने इस संदर्भ में सरकार की ओर से अध्यादेश लाए जाने पर सवाल भी खड़ा किया ।

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चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के मनोज राजौरिया ने कहा कि कहा कि सरकार होम्योपैथी की अच्छी शिक्षा आैर गुणवत्ता में सुधार के लिए विधेयक लाई है आैर होम्योपैथी के प्रसार से देश की आम जनता को फायदा होगा।
मंत्री ने कहा कि सरकार को अपनी स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम ‘आयुष्मान भारत” के दायरे में आयुष सेवाओं को भी लाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आयुष को लेकर सरकार को एक दिशानिर्देश जारी करना चाहिए ताकि सभी राज्यों में इस चिकित्सा पद्धति को बराबर का सम्मान मिले। भाजपा सदस्य ने कहा कि आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग, सिद्धा आैर यूनानी को बराबर का मौका मिलना चाहिए। अन्नाद्रमुक सदस्य के. कामराज ने कहा कि खुद सरकार ने होम्योपैथी के कॉलेजों के परिचालन में गड़बड़ी की शिकायत की बात की है आैर ऐसे में इसमें सुधार के लिए पूरा ध्यान देना चाहिए ताकि छात्रों को नुकसान नहीं हो।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक में आयुष चिकित्सकों को भी आधुनिक चिकित्सा से जुड़ी दवाओं के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है, लेकिन विभिन्न संस्थाओं एवं विशेषज्ञों ने इस सवाल खड़े किए हैं। सरकार को इस पहलू पर फिर से विचार करना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस की डॉक्टर रत्ना डे ने होम्योपैथी केंद्रीय परिषद से जुड़ा अध्यादेश लाए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इतनी जल्दबाजी किस बात की थी।

उन्होंने कहा कि होम्योपैथी आधुनिक चिकित्सा का सस्ता आैर कारगर विकल्प है, ऐसे में इसको बढावा दिया जाना चाहिए।
तृणमूल सदस्य ने कहा कि सरकार को होम्योपैथी चिकित्सा एवं शिक्षा से जुड़े संस्थानों में सुधार करने आैर रिक्तियों को भरने का प्रयास करना चाहिए।

बीजद के रवींद्र कुमार जेना ने भी अध्यादेश लाए जाने लेकर सवाल किया आैर कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई थी कि उसे यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने होम्योपैथी के प्रसार की जरूरत पर जोर दिया आैर कहा कि होम्योपैथी परिषद के पुनर्गठन से पहले जिस संचालक मंडल का गठन किया जा रहा है उसमें सेवानिवृत्त नौकरशाह आैर राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बोर्ड में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों ही जगह मिलनी चाहिए। माकपा की पी के श्रीमती टीचर ने भी अध्यादेश लाये जाने को लेकर सवाल किया आैर कहा कि होम्योपैथी की शिक्षा की गुणवत्ता बढाए जाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षकों का निरीक्षक दल बनाया जाना चाहिए।

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