हेपेटाइटिस के लिए इनको जागरूक करना आवश्यक

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लखनऊ। हेपटाइटिस बीमारी के प्रति 50 प्रतिशत डॉक्टर्स, नर्स व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ ही इसके प्रति जागरूक नहीं है। आम व्यक्ति तो इसकी रोकथाम के बारे में भी नहीं जानता है। ऐसे में उन्हें यह भी नहीं पता है कि यह कैसे फैलता है। यह बात विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर केजीएमयू के मेडिसीन विभाग के डा. डी.हिमांशु ने कही। केन्द्र सरकार ने अब इस बीमारी का इलाज के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को घोषित कर दिया है, जिसके तहत मरीजों को निशुल्क दवा मिलेगी।
केजीएमयू के कलाम सेन्टर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आम जनता के टीकाकरण की बात करते है किंतु 50 प्रतिशत डाक्टरों एवं नर्सो के अलावा हेल्थ वर्करो को भी नही पता है कि ये कैसे फैलता है और यदि उनका किसी संक्रमित रक्त से एक्सपोजर हो जाता है तो क्या करना चाहिए।

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करीब 50 से 60 प्रतिशत डाक्टर नर्स, हेल्थ वर्कर हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण नही कराए हैं, इससे यह पता चलता है कि आम जनता हेपेटाइटिस से बचाव के बारे में कितना जागरूक होगी। डा. हिमांशु ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को किसी हेपेटाइटिस बी से ग्रसित मरीज की कोई सुई या ब्लेड से चुभ जाता है या उसके ब्लड का एक्सपोजर हो जाता है, तो हेपेटाइटिस से बचने के लिए दवाएं अब उपलब्ध है बस उसे ऐसे एक्सपोजर के सात दिन के अंदर वो दवा लेनी पड़ती है। कार्यक्रम में डा राखी मायवाल ने बताया कि बहुत सारे लोगो को लीवर सिरोसिस आदि की समस्या पहले से होती है, किंतु उन्हें पता नही होता और तब यदि उन्हे किसी हेपेटाइटिस बी या सी के वायरस का संक्रमण होता है तो उनका यकृत तुरंत काम करना बंद कर देता है।

डा. राखी ने यह भी बताया कि हेपेटाइटिस डी जिस किसी भी मरीज को हो उसे हेपेटाइटिस बी अवश्य होता है क्यंूकि बिना हेपेटाइटिस बी के हेपेटाइटिस डी का वायरस जिंदा नही रह पाता है। एसजीपीजीआई के प्रो. वीए सारस्वत ने बताया कि हेपेटाइटिस की कई नई दवाएं आ गई है। मां से बच्चों में हेपेटाइटिस का संक्रमण न हो इसके लिए प्रसव के दौरान ये दवांए दी जाती हैं।

डा. डी. हिमांशु ने बताया कि हेपेटाइटिस-बी एचआईवी एड्स से भी खतरनाक है। ब्लेड या सुई चुभने पर पर हेपेटाइटिस-बी का खतरा 30 प्रतिशत, हेपेटाइटिस-सी का खतरा 2 प्रतिशत और एचआईवी का खतरा .3 प्रतिशत होता है। यदि किसी हेपेटाइटिस-सी से ग्रसित किसी व्यक्ति का ब्लड कही पर गिर जाता है तो ब्लड सुख जाने के बाद भी उससे 7 दिनों तक संक्रमण होने का खतरा रहता है। ऐसे लोगो को हेपेटाइटिस का टीका लगाने के बाद एंटी वैल्यू टाइटर टेस्ट कराना चाहिए। अगर टाइटर 1000 से ज्यादा है, तो ठीक है और यदि 10 से कम आता है तो उसे फिर से टीकाकरण करना चाहिए.

डा.डी हिमांशु के मुताबिक हेपेटाइटिस बी का वैक्सीन लगवाना ही काफी नहीं है बल्कि वैक्सीन लगवाने के दो माह बाद एंटीबॉडी टाइटर जांच कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू के डॉक्टरों की ओर से किए गए शोध में यह जानकारी सामने आई है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी 40 फीसद मरीजों को बीमारी हो सकती है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के दो माह बाद एंटीबॉडी टाइटस की जांच कराएं। यदि पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं है या नहीं बनी तो दोबारा वैक्सीन लगवाएं।

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