लखनऊ। लक्षणों के आधार पर अक्सर बीमारियों की पहचान करना मुश्किल हो जाता हैं।
लक्षणों को देखने पर अक्सर दूसरी बीमारियों की ओर भी इशारा करते हैं, लेकिन डॉक्टरों को चांिहए एक बार में लक्षणों के आधार पर कई बीमारियों की जांच न कराये। लक्षणों का गहन अध्ययन करते हुए अलग- अलग चरणों में जांच कराये। सभी जांचे एक ही बार में कराने मरीज को काफी महंगा पड़ सकता है। एक साथ कई जांच होने से तकलीफों के अलावा आर्थिक बोझ भी ज्यादा पड़ सकता है।
यह परामर्श लोहिया संस्थान में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल ने सोमवार को लोहिया संस्थान में आयोजित अपडेट्स इन क्लीनिकल एंड डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी विषय पर सेमिनार में दिया। इस अवसर पर माइक्रोबायोलॉजी विभाग की ओर से 12वें वार्षिक न्यूजलेटर का विमोचन किया गया।
डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल ने कहा कि वायरस संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। विभिन्न प्रकार की बीमारियां वायरस संक्रमण के कारण हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि मौसम के हिसाब से भी वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। बीमारी की सटीक जांच कर पाना मुश्किल बन जाता है, क्योंकि कई बीमारियों के काफी लक्षण मिलते-जुलते हैं। मरीज को सभी तरह की जांच एक बार में कराना आर्थिक बोझ पड़ सकता है। लिहाजा मरीज के सबसे पहले जो लक्षण आया था। उसके आधार पर ध्यान में रखकर जांचें करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि क्लीनकल साइंस में इस पद्धति को डायग्नोस्टिक एल्गोरिथम कहते हैं। इसके बारे में जागरुकता की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं बहुत ही सोच-समझकर लेने का परामर्श देना चाहिए।
निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि इस प्रकार सेमिनार से नयी अपडेट जानकारी का आदान-प्रदान होता है। शोध की गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए। नयी बीमारियों की पहचान और इलाज की दिशा में शोध की जरूरत है। कार्यक्रम में केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. अमिता जैन, डॉ. अतुल गर्ग, डॉ. साई सरन, डॉ. जया गर्ग समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।