आर्थोपैडिक एसो. ने केजीएमयू के डा. अजय को क्लबफुट के अध्ययन के लिए दिया अनुदान

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लखनऊ। इंडियन आर्थोपैडिक एसोसिएशन ने किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाल अस्थि चिकित्सा विभाग के प्रमुख डा. अजय सिंह को बच्चों में होने वाली क्लबफुट में शोध करके अध्ययन करने के लिए अनुदान प्रदान किया है। एसोसिएशन यह अनुदान देश में मात्र एक विशेषज्ञ डाक्टर को अध्ययन के लिए देती है। डा. अजय ने परथीस बीमारी के साथ भारी धातुओं का सहयोग साबित कर दिया था, जिसमें उदर का सिर की हड्डी अवक्रमित हो जाते है। उन्होंने साबित कर दिया कि भारी धातु हड्डी के साथ साथ रक्त वाहिकाओं में भी खतरनाक प्रभाव डालते है। डा. अजय सिंह ने हाल में ही मैथिलेनेटेटे हाइड्रोफोलेटेड रेडक्टेस जीन का क्लब फुट के कुछ आनुवंशिक एसोसिएशन तथा भारी धातुओं की भूमिका के साथ एक पायलट अध्ययन किया था। इसमें अभिभावक त्रिकोणीय डिजाइन किया था।

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इस अध्ययन में एक मिलीलीटर परिधीय रक्त कु ल जैविक माताओं के साथ 15 क्लब फुट प्रभावित बच्चे से लिया गया। डा. अजय ने बताया कि शहरी व ग्रामीण आबादी के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं मिला। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में एक खास बात आैर निकल कर आयी क्लब फुट के साथ ध्रूमपान का कोई सम्बध नहीं होता है। डा. सिंंह ने बताया कि हालांकि आश्चर्यजनक रूप से माताओं के साथ क्लब फुट के बच्चों में एक विशेष जीन के बहुरूपता का एक महत्वपूर्ण संघ मिला। इसके साथ ही बच्चों के रक्त में भारी धातु की एकाग्रता प्रभावित बच्चों की माताओं में सामान्य स्तर से ज्यादा मिला था। इसके बाद अब इस अध्ययन के बाद आर्थोपैडिक एसोसिएशन ने डा. अजय को क्लब फुट में शोध व अध्ययन करने के लिए अनुदान दिया है।

यह अध्ययन क्लब फुट के प्रबंधन में एक नया आयाम स्थापित करेगा। बल्कि एएनसी के दौरान क्लबफुट के जोखिम की भविष्यवाणी भी करेगा। यह अध्ययन गर्भवती महिला को स्क्रीन द्वारा क्लब फुट की शुरुआती अनुमान के लिए संभावित जैवमार्कर भी स्थापित कर सकता है।

क्या है क्लब फुट –

यह एक जन्म जात दोष है। इसमें एक या दोनो पैर के अंदर आैर नीचे की अोर घूम जाता है। प्रभावित पैर का पंजा, पैर छोटा हो सकता है। प्रभावित लोगों में से लगभग आधे में दोनों पैर शामिल होते है। अगर उपचार न मिला तो लो पैरों के किनारे पर चलते है, जिससे विभिन्न समस्याएं होती है। उपचार न मिलने पर दर्दनाक घाव भी बढ जाते है।

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