प्लास्टिक सर्जन की सरकार से प्रदेश में त्वचा बैंक स्थापित करने मांग
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एकेडमी ऑफ बर्नंस इंडिया द्वारा आयोजित कांफ्रेंस में जुटे प्लास्टिक सर्जन
लखनऊ। नेशनल एकेडमी ऑफ बर्नंस इंडिया (एनएबीआई) द्वारा शनिवार को आयोजित कांफ्रेंस में जुटे प्लास्टिक सर्जनों ने सरकार से प्रदेश में त्वचा बैंक स्थापित करने की मांग की है। इससे कैडवरिक त्वचा का प्रत्यारोपण होना आसान होगा। इसके होने से आग, ऐसिड व अन्य रसायनिक तत्वों से जलने वाले गंभीर मरीजों की जली हुई त्वचा पर इसे प्रत्यारोपित कर जीवन दिया जा सकता है। त्वचा बैंक में ढाई साल तक त्वचा को सुरक्षित रखा जा सकता है। किसी भी मृतक के शरीर से तीन से पांच घंटे के अंतराल में त्वचा को लेकर सुरक्षित किया जा सकता है।
वर्कशाप के आयोजक व पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव अग्रवाल ने बताया कि त्वचा बैंक स्थापित होने से झुलसे हुए गंभीर मरीजों को त्वरित राहत देकर उनका जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मुम्बई समेत दक्षिण भारत में कई त्वचा बैंक हैं। जबकि यूपी एक भी नही है।
लुधियाना के डॉ. संजीव उप्पल ने कहा कि एक व्यक्ति की त्वचा से आठ लोगों को जीवन मिल सकता है। यह किफायती होने के साथ सस्ती पड़ती है। आर्टीफिशयल त्वचा प्रत्यारोपण की कीमत दो बाई दो इंच की कीमत 25 हजार रुपए है। जबकि इसमें 100 रुपये लगेंगे। इसमें जोखिम कम है। लिहाजा सरकार को त्वचा बैंक स्थापित करना चाहिए। इससे हर साल जलने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। दिल्ली के प्लास्टिक सर्जन प्रभात श्रीवास्तव और एम्स पटना की प्लास्टिक सर्जन डॉ. वीना सिंह ने कहा कि झुलसे हुए मरीजों के इलाज में उपयोग की जा रही आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी दी। जिसमें जेलर तकनीक, स्टेम सेल थिरेपी की उपयोगिता बतायी।
डॉ. राजीव अग्रवाल बताते हैं कि पीजीआई में आधुनिक बर्न यूनिट स्थापित करने की दिशा में काम चल रहा है। प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया। आईसीयू और आपरेशन थियेटर के साथ अन्य जरूरी संसाधन व उपकरण के प्रबंधन पर विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। इसके लिए संस्थान निदेशक से वार्ता कर जल्द ही प्रस्ताव बनाकर सरकार के पास भेजा जाएगा। ताकि यह यूनिट संस्थान में स्थापित की जा सके। इसके शुरू होने से आग, ऐसिड व रासायनिक तत्वों से जलने वाले मरीजों को त्वरित राहत मिलेगी।