टोमैटो फ्लू की शहर में एंट्री, कई बच्चे चपेट में

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लखनऊ। शहर में टोमेटो फ्लू ने दस्तक दे दी है। अभी तक केरल, ओडिशा, तमिलनाडु में टोमैटो फ्लू से पीड़ित बच्चें मिल रहे थे। संजय गांधी पीजीआई में लगभग 15 दिन के अंदर 12 टोमैटो फ्लू के लक्षण वाले बच्चें इलाज कराने पहुंचे हैं। इसके लक्षण सामान्य वायरल बुखार की तरह ही है। इनमें पांच से 12 वर्ष के बच्चे शामिल हैं।

 

 

 

 

 

 

 

पीजीआई के डाक्टरों का कहना है कि जांच के बाद टोमैटो फ्लू से पीड़ित किसी बच्चें को भर्ती करने की आवश्यकता नहीं हुई है। सभी बच्चें होम आइशोलेशन में इलाज करा रहे है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि फैजुल्लागंज में मंकीपाक्स की जांच के बाद बच्चें में टोमेटो फ्लू की पुष्टि हुई थी, यह बच्चा अब ठीक हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग का भी मानना है कि टोमेटो फ्लू से पीड़ित कई बच्चें राजधानी में पीड़ित है, लेकिन परेशान होने की आवश्यकता नही है।

 

 

 

 

 

राजधानी में टोमेटो फ्लू बच्चों में धीरे- धीरे फैल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई तो कर रहा है, लेकिन कुछ भी बोलने से इनकार कर रहा है। सीएमओ कार्यालय के प्रवक्ता योगेश का कहना है कि अभी तक टोमेटो फ्लू से जुड़ी गाइन लाइन नही आयी है। जब कि स्वास्थ्य अधिकारी डा. मिलिन्द का कहना है कि महानिदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार टोमेटो फ्लू से पीड़ित बच्चें है, लेकिन सभी ठीक है आैर इलाज चल रहा है। कही भी कोई गंभीर होने की आवश्यकता नही है। उनका कहना है कि सामान्य वायरल बुखार की तरह ही टोमेटो फ्लू है। जो वायरल बुखार की तरह ठीक भी हो जाता है। उनका कहना है कि फैज्जुलागंज में मंकीपाक्स के संदिग्ध लक्षणों पर बच्चे की जांच करायी गयी थी। मंकी पाक्स की पुष्टि नही हुई, लेकिन उसे टोमेटो फ्लू हो गया था। इलाज के बाद वह बच्चा अब स्वस्थ्य है।

 

 

पीजीआई में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि जनरल अस्पताल की ओपीडी में दो हफ्ते के दौरान 12 बच्चे टोमैटो फ्लू के आ चके हैं। यह क्रम अभी भी जारी है। इससे पहले महीने में एक व दो ही मामले ही आते थे। अभी तक किसी भी बच्चे में गंभीर लक्षण नहीं देखने को मिले हैं।

 

 

उधर पीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली का कहना है कि टोमैटो फ्लू हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज (एचएफएमडी) का ही एक वैरिएंट है। ओपीडी में टोमेटो फ्लू के लक्षणों को लेकर पहुंचे बच्चों की जांच में हाथ, पैर, मुंह में दाने के साथ मुंह के अंदर छाले दिखे। जांच में पाया गया कि कुछ बच्चे तेज बुखार, खांसी, और जुकाम के लक्षण वाले भी आ रहे हैं। लक्षण के आधार पर इसकी पहचान की गयी है।

 

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि अच्छी बात यह रही कि ओपीडी में इलाज के लिए आये किसी भी बच्चे को भर्ती नहीं करने की आवश्यकता नहीं है। इनकी जांच की जरूरत नहीं पड़ी। टोमेटो फ्लू की जांच का शुल्क करीब ढ़ाई हजार रुपए है। जांच महंगी होने की वजह से अभिभावकों ने जांच नहीं करायी है। उन्होंने बताया कि अभी तक टोमैटो फ्लू की कोई दवा या टीका बाजार में उपलब्ध नहीं है। वायरल बुखार की दवाएं इसमें कारगार हैं।

 

 

 

ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे बच्चें वायरल बुखार की दवाओं के सेवन से ठीक हो रहे हैं। एक हफ्ते भर बाद लक्षण कम होने लगते हैं।

 

 

हालांकि गंभीर लक्षण दिखने अभिभावकों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। टोमैटो फीवर 5-6 साल तक के बच्चों पर ज्यादा अटैक कर सकता है। बच्चे खिलौने, खाना और कपड़ों से लेकर कई चीजें शेयर करते हैं। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। मास्क और हैंडवॉश-सैनिटाइजर के प्रयोग करना चाहिए।

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