लखनऊ। किंग जार्ज चित्किसा विश्वविद्यालय स्थित डेंटल यूनिट के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एन्डोडॉन्टिक्स विभाग में आने वाले 90 प्रतिशत मरीजों को रूट कैनाल ट्रीटमेंट (आरसीटी) की आवश्यकता होती है, लेकिन मरीजों में आरसीटी को लेकर तमाम तरह की भ्रम रहता है। इसके कारण लोग आरसीटी कराने में टालमटोल करते रहते है, जबकि आरसीटी सबसे सुरक्षित है। यह जानकारी केजीएमयू दंत संकाय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एन्डोडॉन्टिक्स विभाग की तरफ से आयोजित कार्यशाला में डा. रमेश भारती ने दी। इसके अलावा न्यू डेंटल बिल्डिंग से गांधी वार्ड होते हुए गेट नंबर दो तक एक जागरूकता रैली निकाली गई।
बृहस्पतिवार को दंत संकाय प्रेक्षागृह में वल्र्ड एन्डोडॉन्टिक्स डे पर व्याख्यान को संबोधित करते हुए डॉ. रमेश भारती ने कहा कि लोगों में गलत धारणा है कि आरसीटी कराने से नजर कमजोर हो जाती है। मसूड़ों में सूई लगाने पर तेज दर्द होता है। आरसीटी से दूसरे दांत भी कमजोर हो जाते हैं। मसूड़ों को नुकसान होता है। जबकि यह सब भ्रांति है। उन्होंने बताया कि दरअसल कीड़े लगने पर दांतों की नसों को नुकसान होने लगता है, दांतों के साथ मसूड़ों तक में संक्रमण फैलने लगता है। मरीजों को कुछ भी पीने पर ठंडा या गर्म महसूस होता है। इलाज में देर से समस्या गंभीर हो जाती है। लेजर तकनीक विशेषज्ञ डाक्टर रमेश यादव ने कहा कि दांत दर्द में कौन सी पेन किलर लेनी चाहिए। इसकी सलाह डाक्टर से लेकर सेवन करना चाहिए।

दांत की कंडीशन, जैसे पस आना, कीड़ा लगना आदि की अलग- अलग पेन किलर का डोज होता है। मरीज को कोई दिक्कत तो नहीं, जैसे हार्ट पेशेंट, किडनी, डायबिटीज का तो नहीं है। सब जानकारी लेने के बाद ही पेन किलर का डोज तय किया जाता है। सबसे बेहतर तो यह रहता है कि दांत में दिक्कत होते ही डाक्टर से इलाज शुरू करा देना चाहिए। कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एन्डोडॉन्टिक्स विभाग की प्रमुख डॉ. प्रॉमिला वर्मा ने कहा कि प्राकृतिक दांतों का कोई विकल्प नहीं है। लिहाजा दांत उखड़वाने से पहले एक बार विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत है।
इस मौके पर छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दांतों की बीमारियों के प्रति जागरुक किया। नाटक के दौरान लोगों ने रूट कैनाल से संबंधित कई सवाल पूछे और अपनी गलतफहमियां दूर की।
इसके बाद न्यू डेंटल बिल्डिंग से गांधी वार्ड होते हुए गेट नंबर दो तक एक जागरूकता रैली निकाली गई। इस क्रम में पीजी छात्रों ने डेंटल वेस्ट से शैक्षिक मॉडल तैयार किए। कार्यक्रम में डॉ. प्रज्ञा पांडेय, डॉ. राकेश, डॉ. रिद्म, डॉ. विजय कुमार शाक्य, डॉ. निशी सिंह, डॉ. शैलजा सिंह और डॉ. ज्योति जैन भी मौजूद रहीं।












