लखनऊ। खाद्य सुरक्षा एवं औषधीय प्रशासन (एफएसडीए) की टीम ने दोबारा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार की देर रात को छापा मार दिया। एफएसडीए टीम को दवाओं पर प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत पर दिये जाने की सूचना मिली थी। अचानक इस छापे से केजीएमयू प्रशासन में हड़कम्प गया। क्योंकि पिछली बार जांच में काफी गड़बड़ी मिली थी। हालांकि टीम ने जांच में मात्र दवाओं के दाम की जानकारी एकत्र की आैर मौके पर सूचना गलत पाई गई।
केजीएमयू में मरीजों को सस्ती दर पर दवा देने के लिए हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) सहित अन्य फार्मेसी के 21 काउंटर संचालित हो रहे हैं।
आरोप है कि इसके बाद भी मरीजों को सस्ती दवाएं नहीं मिल रही हैं आैर बाहर से दवा लानी पड़ रही है। बताया जाता है कि केजीएमयू के अंदर ही संचालित इन काउंटरों पर भी दवाओं के दाम अलग हैं। इससे बचने के लिए केजीएमयू के सीएमएस के नेतृत्व में आठ सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की योजना तैयार करने का दावा कर रहे है।
ट्रामा सेंटर में सबसे ज्यादा शिकायतें आई हैं। चौथे तल पर खुले एचआरएफ और ग्राउंड फ्लोर पर सोसाइटी पर मिल रही एंटीबायोटिक की दवाओं में 150 रूपए तक के अंतर की शिकायत है। बाहर जो वेंटीलेटर की किट 900 रूपए में मिल रही है वह ट्रामा सेंटर में 1350 रूपए में दी जा रही हैं।
केजीएमयू के मीडिया प्रभारी डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि केजीएमयू के अंदर दवा काउंटरों पर दरों में अंतर और बाजार से महंगी दवाएं मिलने की लगतार शिकायत आ रही थीं। गठित कमेटी ने सभी काउंटरों से दवाओं की दर लिस्ट मंगाई हैं। निरीक्षण के बाद मरीजों को सस्ती दवा देने की योजना तैयार की जाएगी।
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