लखनऊ। डॉक्टरों के तबादले से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी हैं। बिना सोचे समझे किए गए तबादलों से कई विभागों में ताला पड़ गया है। यही नहीं कुछ जगहों में वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं भी लड़खड़ाने लगी हैं। हार्ट के मरीजों के इलाज में भी दिक्कत होने लगी है।
देखा जाए तो बलरामपुर अस्पताल में एनस्थीसिया विभाग में कुल नौ डॉक्टर थे। इनमें से तीन के तबादले हो गए। एनेस्थीसिया डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. सीपी सिंह, डॉ. भास्कर शामिल हैं। इस कारण सर्जरी से लेकर वेंटिलेटर के संचालन की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। अस्पताल में 40 वेंटिलेटर हैं। इसमें 13 का संचालन किसी तरह हो रहा है। तबादलों के कारण वेंटिलेटर का संचालन गड़बड़ा सकता है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद कुमार, जनरल मेडिसिन से डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव का भी तबादला हो गया है। पैथोलॉजी से डॉ. मसूद का भी तबादला हो गया है। जबकि करीब चार वर्ष पहले ही उनकी लखनऊ में तैनाती हुई थी।
सिविल अस्पताल से छह डॉक्टरों के तबादले हो गये है। इनमें कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. राजेश श्रीवास्तव, जनरल सर्जरी के डॉ. आरके गौतम, रेडियोलॉजी विभाग के संजय जैन, डॉ. नवीन चंद्रा, नेत्र रोग विभाग के राकेश शर्मा, एनेस्थीसिया के डॉ. एसआर सिंह, दंत रोग विभाग की डॉ. शिल्पा सिंह का स्थानांतरण किया गया।
मनमानी का तरीका यह है कि दम्पत्ति नीति का भी पालन नहीं
बलरामपुर अस्पताल में फिजिशियन डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव को उन्नाव जिला अस्पताल का सीएमएस बनाया गया है, जबकि उनकी पत्नी डॉ. संदीपा श्रीवास्तव को लोकबंधु अस्पताल से पीलीभीत में तबादला किया गया है। जो कि दाम्पत्ति नीति के नियमों की अनदेखी है। लोकबंधु अस्पताल में दो महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीपा श्रीवास्तव और डॉ. कल्पना चंदेल का तबादला कर दिया गया है। अस्पताल में कुल सात महिला रोग विशेषज्ञ थी। जिसमें दो वरिष्ठ डॉक्टरों के तबादले कर दिए गए। इससे 24 घंटे महिला रोग विभाग की इमरजेंसी, ऑपरेशन, ओपीडी का संचालन की गाड़ी लड़खड़ा गई है। डफरिन में डॉ. सरिता सक्सेना का तबादला बाराबंकी कर दिया गया है। लगभग डेढ़ साल रिटायरमेंट के बचे हैं। नियमानुसार दो साल रिटायरमेंट के दौरान तबादला नहीं किया जा सकता है।
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ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय में सर्जरी विभाग में दो डॉक्टर तैनात थे। इसमें डॉ. राजेश श्रीवास्तव और डॉ. बृजेश यादव का तबादला हो गया। रोजाना तीन से चार ऑपरेशन होते थे। डॉक्टरों के जाने से मरीजों को खासी दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं। पैथोलॉजी विभाग की डॉ. अमिता गुप्ता की एक डॉक्टर थीं। उनका तबादला हो गया। अब पैथोलॉजी में जांच बंद हो गयु है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि काम ठीक ढंग से चल रहा कोई जांच बंद नहीं हुई है।
अलीगंज स्थित राज्य स्वास्थ्य संस्थान डॉक्टरों के आराम के लिए सबसे ब है। यहां एक सर्जन वर्ष 1996 से तैनात हैं। 20 साल से लखनऊ में जमे हैं। खुद को भाऊराव देवरस अस्पताल से संबद्ध करा लिया है। एमबीबीएस डॉक्टर वर्ष 2014 से जमे हैं। आठ साल बाद भी तबादला नहीं हुआ। बाल रोग विशेषज्ञ 2011 से लखनऊ में हैं। 2013 से राज्य स्वास्थ्य संस्थान में कार्यरत हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ 1990 से लखनऊ में हैं। 2021 में राज्य स्वास्थ्य संस्थान में हैं। इसी तरह सिविल अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ, सर्जन व एनस्थीसिया विशेषज्ञ 15 से 20 साल से जमे हैं। इन डॉक्टरों को तबादला करने की अधिकारियों ने जहमत नहीं उठाई।