लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेडियोथेरेपी विभाग प्रमुख पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज होने पर यहां के डाक्टरों के एक वर्ग में हड़कंप मचा है। यहां भी कैंसर की दवाओं,इंजेक्शन व इससे जुड़े मामले से डॉक्टर घबराए हुए हैं। चर्चा है कि इन डाक्टरों को डर है कि कैंसर की दवा की जांच केजीएमयू तक पहुंच सकती है।
बताते चले कि रेलवे अस्पताल में कैंसर की दवाओं में लोकल पर्चेज (एलपी) कर करोड़ों का घोटाला मिला। इस मामले में रेलवे अस्पताल में तैनात डॉ. सुनीता गुप्ता की जांच शुरु हुई। जांच में सीबीआइ ने गहराई से शुरू की तो केजीएमयू में तैनात पति रेडियोथेरेपी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव गुप्ता भी जांच के दायर में आ गये।
जांच में पति -पत्नी के आय-व्यय का लेखा- जोखा में 86 गुना अधिक पाया गया। डॉ. पति – पत्नी पर सीबीआइ द्वारा मुकदमा दर्ज करने से केजीएमयू प्रशासनिक अधिकारी सकते में है। चर्चा है कि यहां डॉक्टरों का कैंसर दवाओं का लंबा खेल हैं। यहां कैंसर की महंगी दवाओं की खरीद में करोड़ों के वारे-न्यारे किए हैं। कैंसर की महंगी दवा व इंजेक्शन चौक के कुछ मेडिकल स्टोरों से मिलते है।
केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में पूर्व कुलपति कार्यकाल में एलपी के जरिए महंगी दवाओं का खेल पकड़ा जा चुका है। मामला पकड़ में आने पर सात अप्रैल 2017 को गड़बड़ी करने वाले डॉक्टर को नोटिस दिया गया। इसके बाद केजीएमयू के प्रशासनिक फेरबदल के बाद मामला दब गया। केजीएमयू में वर्ष 2015 में रेडियोथेरेपी विभाग से लगभग 14 लाख की जीवनरक्षक दवाएं गायब कर दी गईं। महंगी दवाएं निकालकर बाजार में बेच दी गईं। रात में बाहर दवा ले जाते एक बार रंगे हाथ पकड़े गए वार्ड ब्वॉय को निकाल दिया गया, जबकि डॉक्टर को सिर्फ नोटिस ही दी गई।
सीबाआइ का केजीएमयू के डॉ. राजीव गुप्ता के जांच में कई अन्य डॉक्टरों की भी पड़ताल कर सकती है। कुलसचिव राजेश राय के मुताबिक डॉ. राजीव गुप्ता पर सीबीआइ द्वारा मुकदमा दर्ज कराने की जानकारी मीडिया व न्यज पेपर से मिली है। आधिकारिक पत्र आने या उनकी गिरफ्तारी होने पर डॉ. राजीव गुप्ता पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसमें निलंबन की कार्रवाई भी शामिल है।
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