न्यूज – डॉक्टरों एवं अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के मकसद से स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह कह कर इसे टाल दिया है कि इस संबंध में अलग से कानून बनाने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य सेवा कर्मी एवं नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर प्रतिबंध) विधेयक, 2019 में उन लोगों के लिए 10 साल तक की कैद का प्रस्ताव दिया गया था जो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों आैर अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ मारपीट करते हैं।
स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा पर लगाम लगाने के लिए समग्र केंद्रीय कानून की मांग ने उस वक्त जोर पकड़ लिया था जब ऐसे मामले और देश भर में नैदानिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने के मामले अचानक बढ गए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ही यह विधेयक पेश करना चाहती थी। सत्र 13 दिसंबर को समाप्त हो गया था।
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